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‘धर्मों में सामान्य नैतिक मिशनश् पर व्याख्यान
 अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर लतीफ हुसैन शाह काजमी ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शताब्दी समारोह के उपलक्ष में ‘भारत में दर्शन के सौ वर्षों पर विचार‘ कार्यक्रम के अंतर्गत एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘भारत में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए धर्मों में सामान्य नैतिक मिशन‘ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि सभी धर्म नैतिकता की शिक्षा और उपदेश देते हैं जो ज्यादातर ईश्वर के प्रेम और मानवता की सेवा पर आधारित है, और यह विशेष रूप से भारत में और सामान्य रूप से विश्व स्तर पर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए आज की महती आवश्यकता है।
उन्होंने नैतिकता के अर्थ को दर्शन की महत्वपूर्ण शाखाओं में से एक के रूप में समझाया और दुनिया के महान धर्मों जैसे ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और इस्लाम में नैतिक दर्शन के अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने उक्त धर्मों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए प्रत्येक धर्म में नैतिकता की मुख्य भूमिका को रेखांकित किया।

सैंपलिंग तकनीक पर व्याख्यान
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एस.एम. खान ने चैधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद (हरियाणा) द्वारा आयोजित दो सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम में संसाधन व्यक्ति के रूप में भाग लिया, जिसे आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित किया गया था। उन्होंने ‘नमूनाकरण तकनीक, नमूनाकरण त्रुटियां और नमूना आकार की गणना‘ पर बात की। उन्होंने सांख्यिकीय सॉफ्टवेयर और संबंधित सांख्यिकीय मापदंडों की गणना का उपयोग करते हुए नमूना बनाने का भी प्रदर्शन किया।

सीमेंट के निर्माण की प्रक्रिया पर तकनीकी संगोष्ठी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेडएच कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा उद्योग-संस्थान संवाद के तहत ‘सीमेंट की निर्माण प्रक्रिया‘ पर एक दिवसीय तकनीकी सेमिनार का आयोजन किया, जिसे अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा प्रायोजित किया गया था। इंजीनियर अभिषेक आनंद, क्यूसी और प्रोसेसिंग मैनेजर और इंजी. विपिन चैधरी, जोनल हेड-टेक्निकल, अल्ट्राटेक सीमेंट इस कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन थे।

इंजीनियर अभिषेक आनंद ने सीमेंट उद्योग और निर्माण क्षेत्र में इसके महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न प्रकार के सीमेंट, उनके गुणों और उनके अनुप्रयोगों पर चर्चा करते हुए सीमेंट की निर्माण प्रक्रिया में प्रत्येक चरण की व्याख्या की और कच्चे माल के महत्व, उत्पादन प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका, और स्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
विपिन चैधरी ने आदित्य बिड़ला समूह की कंपनियों में नौकरी की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और दर्शकों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए। उन्होंने अल्ट्राटेक सीमेंट्स, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, हिंडाल्को और आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल सहित आदित्य बिड़ला समूह में शामिल कंपनियों की विविध रेंज पर बात की। उन्होंने इन कंपनियों में विभिन्न जॉब प्रोफाइल और कार्यों और विभिन्न पदों के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता पर चर्चा की।
अतिथि वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम समन्वयक प्रो रिजवान अहमद खान ने कहा कि सीमेंट का निर्माण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो हमारी अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित करती है। ऐसे समय में जब हम सतत विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं, सीमेंट की निर्माण प्रक्रिया की गहन समझ होना आवश्यक है। यह संगोष्ठी हमें सीमेंट निर्माण में नवीनतम विकास पर चर्चा करने और विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
इससे पूर्व, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर इजहार फारूकी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि संगोष्ठी प्रतिभागियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगी और हमारे ज्ञान और अनुभव को साझा करना इस उद्योग में नवाचार और प्रगति को चलाने की कुंजी है। जितना हम सीमेंट निर्माण की पेचीदगियों में गहराई से उतरेंगे, इस प्रक्रिया को और अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नए रास्ते तलाशे जाएंगे। इंजीनियर अमन राज, अल्ट्राटेक सीमेंट ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रो रिजवान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

एएमयू शिक्षक द्वारा नेतृत्व और पेशेवर कौशल पाठ्यक्रम में सहभाग

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के मनश्चिकित्सा विभाग के डा फैसल शान ने डॉ. रामचंद्र एन मूर्ति फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोलॉजिकल साइंसेज के तत्वावधान में निम्हान्स, बेंगलुरु में प्रारंभिक कैरियर मनोचिकित्सकों के लिए आयोजित 9वें नेतृत्व और व्यावसायिक कौशल पाठ्यक्रम में भाग लिया। वह इस कोर्स के लिए पूरे भारत से चुने गए 16 प्रारंभिक कैरियर मनोचिकित्सकों में से एक थे।
एक शुरुआती कैरियर मनोचिकित्सक के रूप में, डॉ फैसल का मानना है कि यह पाठ्यक्रम आवश्यक नेतृत्व और पेशेवर कौशल विकसित करने में उनकी मदद करने में सहायक होगा। इस अनुभव से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि उनके अभ्यास को सूचित करेगी और उसके रोगियों को लाभान्वित करेगी।

प्रोफेसर रजाउल्ला अंसारी के निधन पर एएमयू में शोक
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भौतिकी के पूर्व शिक्षक, प्रोफेसर शेख मोहम्मद रजाउल्लाह अंसारी के निधन पर विश्वविद्यालय बिरादरी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। वह अक्टूबर 1969 में एक रीडर के रूप में भौतिकी विभाग में शामिल हुए और जनवरी 1983 में प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत हुए। उन्होंने 1956 में दिल्ली कॉलेज (अब जाकिर हुसैन कॉलेज) में भौतिकी व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया था।

उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि प्रोफेसर रजाउल्लाह के निधन से मैं बहुत दुखी हूं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं, और दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करता हूं। अल्लाह उनके परिवार और उनके प्रियजनों को इस नुकसान को सहन करने की शक्ति दे।
अपने शोक संदेश में भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सज्जाद अतहर ने शोक संतप्त परिवार को शक्ति और साहस प्रदान करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि दिल्ली कॉलेज में शिक्षण के दौरान उन्हें अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फैलोशिप से सम्मानित किया गया और शोध के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ थ्योरेटिकल फिजिक्स में काम किया। बाद में वह टूबिंगन (जर्मनी) में एबरहार्ड कार्ल विश्वविद्यालय में स्थानांतरित हो गए, जहां उन्होंने अपना डी.एससी (डॉ. रेर. नट.) 1966 में गणितीय भौतिकी में पूरा किया।
जर्मनी में अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने भारत और इस्लामिक देशों में सटीक विज्ञान के इतिहास में भी विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने 1966-1969 के दौरान विभिन्न क्षमताओं में जर्मन काउंसिल ऑफ रिसर्च के शोध विद्वानध्सहयोगी के रूप में शोध किया।
प्रोफेसर अंसारी ने एस्ट्रोफिजिक्स में गहरी रुचि विकसित की और एएमयू ज्वाइन करने के बाद सौर भौतिकी और इंटरस्टेलर मैटर के भौतिकी पर केंद्रित एक समूह विकसित किया।
खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में उनके योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें 1972 में रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (लंदन) का फेलो चुना गया और बाद में वह 1973 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आईएयू) के सदस्य बने। वह विज्ञान के इतिहास के विकास, विशेष रूप से खगोल विज्ञान के इतिहास में भी शामिल थे और उन्होंने 1984-86 के दौरान हमदर्द संस्थान (अब जामिया हमदर्द), नई दिल्ली में विज्ञान और चिकित्सा के इतिहास विभाग की स्थापना में मदद की।
प्रोफेसर अंसारी इस्लामिक मध्य युग के दौरान विज्ञान में मुस्लिम योगदान के विशेषज्ञ के रूप में तेहरान (ईरान) में यूनेस्को की एक परियोजना में शामिल थे। उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों में से एक महाराजा सवाई जय सिंह की खगोलीय तालिकाओं के समीक्षकों द्वारा संपादित फारसी पाठ जिज-ए मुहम्मद शाही का पूरा होना है जो भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एक परियोजना थी।
अपने बाद के करियर में, उन्होंने विशेष रूप से मध्यकालीन भारत (फारसी स्रोत) और इस्लामी देशों में विज्ञान के इतिहास में अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें इंटरनेशनल यूनियन ऑफ हिस्ट्री एंड फिलासफी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया और उन्होंने प्राचीन और मध्यकालीन खगोल विज्ञान के इतिहास के लिए आयोग के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।

एएमयू ने जस्टिस एएम अहमदी को श्रद्धांजलि अर्पित की
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बिरादरी ने आज भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एएमयू के पूर्व चांसलर जस्टिस एएम अहमदी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया, जिनका कल निधन हो गया था। इस सन्दर्भ में विश्वविद्यालय के पॉलिटेक्निक सभागार में शोक सभा का आयोजन किया गया।

शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जस्टिस अहमदी एक त्रुटिहीन पेशेवर अखंडता, समर्पण और उच्च दर्जे की प्रतिष्ठित के धनि व्यक्ति थे। एएमयू का उनके साथ घनिष्ठ संबंध था क्योंकि उन्होंने इसके चांसलर के रूप में दो कार्यकाल पुरे किये।
प्रोफेसर मंसूर ने न्यायमूर्ति अहमदी द्वारा प्रदान की गई अत्यधिक सराहनीय सेवाओं का वर्णन किया और उनके निधन पर गहरे दुख और शोक की भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अहमदी को न केवल भारत के एक प्रतिष्ठित मुख्य न्यायाधीश के रूप में ही नहीं बल्कि एक अनुकरणीय इंसान के रूप में भी याद किया जाएगा, जो अपने सर्वोच्च आदर्शों के लिए जाने जाते थे।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि उनकी मृत्यु एएमयू बिरादरी के सदस्यों के लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ और जन्नत में उनके लिए एक उच्च स्थान की प्रार्थना करता हूँ।
एएमयू रजिस्ट्रार, श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने शोक प्रस्ताव पढ़ा और दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने  कहा कि सर्वोच्च न्यायालय छोड़ने के बाद, न्यायमूर्ति अहमदी सितंबर 2003 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बने और जनवरी 2010 तक इस पद पर दो कार्यकाल तक रहे। अंत में दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। बैठक में विश्वविद्यालय के अधिकारी, विभिन्न विभागों के डीन और अध्यक्ष शामिल हुए।

इंटर हॉल क्रिकेट टूर्नामेंट 2022-23
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय की गेम्स समिति के क्रिकेट क्लब के कप्तान एवं इंटर हॉल क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन सचिव, श्री सैयद मुस्तफा हैदर ने बताया कि इंटर हॉल क्रिकेट टूर्नामेंट 9 मार्च से होगा। उन्होंने एएमयू के विभिन्न हॉल के क्रिकेट कप्तानों से आग्रह किया है कि वे 4 मार्च को शाम 4 बजे विलिंगडन क्रिकेट पैवेलियन में मैच की संरचना के ड्रा के लिए उपस्थित रहें।

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