अलीगढ़ : 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई ? जानिए क्या है पूरा मामला

उत्तरप्रदेश के जिला अलीगढ़ में ADG 16 मोहम्मद नसीम की अदालत ने पालीमुकीमपुर थाना इलाके में सात साल पहले हुई हत्या के मामले में 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 23-23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

ADGC गोपाल सिंह राणा के अनुसार, 26 अप्रैल 2013 को थाना पालीमुकीमपुर में रमेशचंद्र ने मुकदमा दर्ज कराया था। कहा था कि उनका छोटा भाई रामप्रकाश दूध बेचता था। तभी रामप्रकाश नगला बदन, रामपुर चंदनिया स्थित मलिखान सिंह के घर पहुंचा था। यहां से कलियान के घर आया, जहां कहासुनी हो गई। इसी बीच अन्य पांच लोग आ गए और रामप्रकाश पर सरिया, लाठी से हमलावर हो गए। हॉस्पिटल ले जाने के वक्त रास्ते में रामप्रकाश की मौत हो गई थी। पुलिस ने लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इसमें सत्र परीक्षण के बाद गुरुवार को कोर्ट ने भजनलाल, फौरन, मलिखान, सुनहरी, बांकेलाल व कलियान को सजा सुनाई गई है।

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संजीव हत्याकांड में आज आ सकता है फैसला ..
जीटी रोड़ स्थित डीएस कालेज के छात्रनेता संजीव चौधरी की हत्या के मामले में 19 साल बाद फैसला आ सकता है। जिला जज की अदालत में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 24 सितंबर की तिथि नियत की है। DGC धीरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि अप्रैल 2002 में टप्पल के छात्रनेता संजीव चौधरी की हत्या हो गई थी। जिसमे थाना हरदुआगंज के गांव गवालरा निवासी योगेश चौधरी, गांव कलाई निवासी संजीव उर्फ रौबी व राघवेंद्र सिंह कालू आरोपी हैं। इसमें कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है। 24 सितंबर 2021 को कोर्ट फैसला सुना सकती है।

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पूर्व सांसद बिजेंद्र के खिलाफ वारंट निरस्त

आचार संहिता का उल्लंघन करने के दो अलग-अलग मामलों में गुरुवार को ADG चार की कोर्ट में पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह ने सरेंडर कर दिया। अदालत ने उनके खिलाफ वारंट को निरस्त कर दिया है। इसके बाद चार्ज फ्रेम की प्रक्रिया हुई।
अपर शासकीय अधिवक्ता रामकुमार ने बताया कि जनपद के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अलग-अलग मामलों में लंबे समय से मुकदमे चल रहे हैं। इनकी सुनवाई के लिए प्रयागराज में विशेष न्यायालय बनाई गई थी। लेकिन सितंबर 2019 में सभी मुकदमों को जिले की कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। फिलहाल ADG चार की कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
अपर शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक, बिजेंद्र सिंह के खिलाफ वर्ष 2009 में थाना गभाना में आचार संहिता के उल्लंघन के दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए थे। बिजेंद्र ने प्रयागराज की विशेष न्यायालय से ही जमानत ले ली थी। जब मुकदमे अलीगढ़ की अदालत में स्थानांतरित हुए तो यहां से पहले जमानती वारंट जारी हुए। इसके बाद गैरजमानती वारंट जारी किए गए। कोर्ट ने SSP को पत्र लिखकर वारंट तामील कराने के आदेश भी दिए थे। गुरुवार को पूर्व सांसद ने सरेंडर किया। चूंकि बिजेंद्र पूर्व में जमानत पर हैं। ऐसे में कोर्ट ने गैरजमानती वारंट को निरस्त कर दिया है। इसके अलावा आरोप तय किए गए हैं।

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