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एएमयू का ‘कोरोजन रिसर्च ग्रुप’ उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान में लीन

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एप्लाइड केमिस्ट्री विभाग में प्रोफेसर मुहम्मद मुबीन के नेतृत्व में कोरोजन रिसर्च ग्रुप धातुओं और कोरोजन (संक्षारण) की रोकथाम के लिए निवारक कोटिंग्स और वैज्ञानिक संसाधनों पर महत्वपूर्ण शोध कार्य चल रहा है।

 

विभाग की संक्षारण अनुसंधान प्रयोगशाला वर्तमान में उपकरण और मशीनरी में संक्षारण का पता लगाने और इसकी रोकथाम के लिए नैनो-कंटेनर युक्त स्मार्ट कार्यात्मक कोटिंग्स के विकास से संबंधित एक प्रमुख परियोजना पर काम कर रही है, जिसे सीएसआईआर के मानव संसाधन द्वारा विकसित किया जा रहा है।

प्रोफेसर मोबिन ने बताया है कि जंग और अन्य दोष सामग्रियों को नुकसान पहुंचाते हैं और प्रतिष्ठानों के विशेष उपकरणों और मशीनों के खराब होने का कारण बनते हैं। इससे कभी-कभी भारी क्षति होती है जिस के परिणामस्वरूप बड़े वित्तीय नुकसान के साथ इन मशीनों पर कार्य कररहे लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

उन्होंने कहा कि ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ कोरोजन इंजीनियर्स इंटरनेशनल’ की प्रभाव रिपोर्ट के अनुसार, जंग के कारण वैश्विक वार्षिक नुकसान 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो वैश्विक जीडीपी का 3.5 प्रतिशत है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद का 4.2 प्रतिशत है।

प्रोफेसर मुबीन ने बड़ी औद्योगिक सुविधाओं, संयंत्रों, बिजली संयंत्रों और जल संचरण और भंडारण प्रणालियों में जंग से संबंधित औद्योगिक विफलताओं के कारणों और समस्याओं की पहचान करने के लिए कई औद्योगिक और शैक्षणिक परियोजनाओं पर काम किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत स्वीडन और जापान में दो संस्थानों के लिए अनुसंधान सेवाएं भी दी हैं।

कई वैज्ञानिक संगठनों ने संक्षारण विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रोफेसर मोबिन और उनके अनुसंधान समूह की मूल्यवान सेवाओं को मान्यता दी है और उन्हें पुरस्कृत किया है। इसमें एसोसिएशन फॉर मैटेरियल्स प्रोटेक्शन एंड परफॉर्मेंस (एएमपीपी) इंडिया चैप्टर शामिल है, जिसने उन्हें संक्षारण जागरूकता पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें ‘कोरकोन 2022’ विषय पर एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनी में प्रदान किया गया।

 

डॉ. नरजिस फातिमा की पुस्तक ‘मुन्तखब मजामीन’ का विमोचन

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के कॉन्फ्रेंस हॉल में डॉ. सैयदा नरजिस फातिमा की पुस्तक ‘मुन्तखब मजामीन’ का विमोचन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकों ने भाग लिया और पुस्तक की सामग्री और अन्य विशेषताओं पर चर्चा की गयी।

 

अपने अध्यक्षीय भाषण में इब्ने सीना अकादमी, अलीगढ़ के संस्थापक एवं निदेशक, प्रोफेसर हकीम सैयद जिल्लुर रहमान ने पुस्तक के प्रकाशन पर डॉ. नरजिस फातिमा को बधाई देते हुए कहा कि पुस्तक में शामिल अधिकांश लेख सौंदर्य आलोचना और दार्शनिक अध्ययन को परिलक्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि यह विषय डॉ. नरजिस फातिमा की रुचि के विशेष विषय हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. फातिमा के लेखन ने उर्दू साहित्य के विभिन्न विषयों पर सौंदर्य तत्वों को चिह्नित किया और यह वास्तव में साहित्यिक अध्ययन के लिए बहुमूल्य योगदान हैं। उनका दृष्टिकोण बहुत व्यापक है और उनके लेख उर्दू पाठकों को नई सोच से परिचित कराते हैं।

मुख्य अतिथि उर्दू विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर काजी जमाल हुसैन ने पुस्तक में शामिल विषयों के सौंदर्य संबंधी पहलू पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य से संबंधित विषयों का सौंदर्य की दृष्टि से अध्ययन करना अपने आप में एक कठिन कार्य है क्योंकि आम तौर पर लोग सौन्दर्यपरक और अभिव्यंजक अध्ययन में अंतर नहीं कर पाते, जबकि दोनों अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि सौंदर्यशास्त्र का संबंध सभी ललित कलाओं से है और डॉ. नरजिस फातिमा ने अपने विषयों में सौंदर्यशास्त्र के तत्वों का प्रयोग बड़ी सुंदरता और कुशलता के साथ किया है। उन्होंने कहा कि सौंदर्य की अनुभूति एक कठिन प्रक्रिया है और उसे लेखन में उतारना सौंदर्य अध्ययन की विशेषता है।

 

प्रोफेसर काजी जमाल हुसैन ने कहा कि डॉ. फातिमा के लेख दर्शनशास्त्र को बखूबी व्यक्त करते हैं और यह उनके लेखन की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है। मानद अतिथि, उर्दू विभाग के प्रोफेसर सिराज अजमली ने कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान में किसी पुस्तक का विमोचन एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि इससे उस संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी मिलती है।

डॉ. नरजिस फातिमा की पुस्तक नए विचारों से भरपूर विषयों के साथ दार्शनिक और सौंदर्य संबंधी विचारों को प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने कहा कि डॉ. फातिमा एक बहुत ही विद्वान परिवार से सम्बन्ध रखती हैं और इसी विद्वतापूर्ण परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2009 में सौंदर्य आलोचना विषय पर अपनी पीएचडी थीसिस प्रस्तुत की, जो बाद में पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।

दर्शनशास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त डॉ. तसद्दुक हुसैन ने कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. सैयद जिल्लुर रहमान का परिचय कराया और डॉ. नरजिस फातिमा की शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. फातिमा वैसे तो गृहिणी हैं, लेकिन उनकी शैक्षणिक गतिविधियां हमेशा जारी रहीं। उन्हें पढ़ने-लिखने और विद्वतापूर्ण विषयों पर विचार करने में तीव्र रुचि है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने कहा कि डॉ फातिमा की पुस्तक विचार प्रक्रिया को तेज करती है क्योंकि इस पुस्तक में शामिल लेख इकबाल और फैज की कविता के सौंदर्य आयाम और प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े लेखकों के सौंदर्यशास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित हैं।

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अंग्रेजी साहित्य, विशेषकर तुलनात्मक साहित्य के छात्रों के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसमें ‘शकुंतला और शेक्सपियरियन हीरोइन्स’, ‘एंटीगोन और ग्रीक ड्रामा’ और मंटो के ‘टोबा टेक सिंहः ए क्रिटिकल रिव्यू’ पर विशेष अध्ययन शामिल हैं। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशिक अली ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रो महताब हैदर नकवी, प्रो शाहिद रिजवी, प्रो मदीहुर रहमान सुहैब, प्रो समीना खान, प्रो प्रेम कुमार, प्रो समी रफीक, प्रो शंभूनाथ तिवारी, अजय बसरिया और बड़ी संख्या में शिक्षकों और छात्रों ने डॉ नरजिस फातिमा को पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई दी।

 

नवप्रवेशित ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों की कक्षाएं 21 जुलाई से शुरू होंगी

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने ग्यारहवीं कक्षा के नव प्रवेशित नियमित छात्रों के लिए कक्षाएं शुरू करने के कार्यक्रम की घोषणा की है।

स्कूल शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर असफर अली खान द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए ग्यारहवीं कक्षा (नियमित) के नव प्रवेशित छात्रों की कक्षाएं 21 जुलाई से शुरू होंगी।

 

प्रोफेसर फरहान किरमानी अमुवि कोर्ट सदस्य नियुक्त

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर फरहान किरमानी को संबंधित विभाग का वरिष्ठता के आधार पर तीन साल की अवधि के लिए या जब तक वह अध्यक्ष बने रहेंगे, एएमयू कोर्ट का सदस्य घोषित किया गया है।

 

प्रोफेसर मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी एवं प्रोफेसर मोहम्मद अफजल कार्यकारी परिषद के सदस्य नियुक्त 

 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी, डीन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय और प्रोफेसर मोहम्मद अफजल, डीन, जीवन विज्ञान संकाय को डीन के बीच वरिष्ठता के आधार पर कार्यकारी परिषद, एएमयू का सदस्य घोषित किया गया है। इनका कार्यकाल क्रमशः 7 जुलाई और 14 जुलाई, 2023 से प्रभावी हो गया है। उनका कार्यकाल संबंधित संकाय के डीन का पद संभालने तक रहेगा।

 

एएमयू के 21 छात्रों को गांधी फेलो चुना गया

स्वास्थ्य, जल, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र के क्षेत्रों में काम करने वाले पीरामल फाउंडेशन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, वाणिज्य और प्रबंधन संकायों से संबंधित 21 छात्रों को ‘गांधी फेलो’ के रूप में चुना है। उनका चयन प्रशिक्षण और प्लेसमेंट कार्यालय (सामान्य) द्वारा समन्वित भर्ती अभियान के माध्यम से किया गया है।

चयनित छात्र में आकिब सुहैल (बीए राजनीति विज्ञान), आरिफा तनवीर (बी.टेक.), आशीष कुमार पुंढीर (बी.कॉम.), फरहा फजल (बीए सोशल वर्क), मोहम्मद शारिक (एमए अर्थशास्त्र), समीर खान (एमएसडब्ल्यू), पीरजादा मेहबूब (बीए राजनीति विज्ञान), पर्रे जा़हिल जीरानी (बीए राजनीति विज्ञान), सैयद शावेज अनवर (एमएसडब्ल्यू), शुभ्रा माथुर (एमए समाजशास्त्र), सैयद अम्मार हुसैन (एमएसडब्ल्यू), ताजुद्दीन (एमबीए एचआर), ताहिर जफर (एमए इंग्लिश), तसमीन सहर (बीए सोशल वर्क), सहारुक अहमद (एमए इंग्लिश), शगुफ्ता अंजुम (एमए मास कम्युनिकेशन), फराग अंजुम (बीए सोशल वर्क), सफना एपी (एमए इकोनॉमिक्स), मोहम्मद अरफात (एमएसडब्ल्यू), मो. समर खान (एमएसडब्ल्यू), दरखशां  परवीन (बीए सोशल वर्क) शामिल हैं।

 

 

 

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