जी20 के तहत आइसोटोप भूविज्ञान विभाग में अतीत, वर्तमान और भविष्य की दिशा पर कार्यशाला
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग द्वारा भारत की जी20 अध्यक्षता का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी जी20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम के अंतर्गत 29 अप्रैल को ‘आइसोटोप भूविज्ञानः अतीत, वर्तमान और भविष्य की दिशा’ विषय पर जी20 थीम वाली कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
आयोजन सचिव प्रो. एमईए मोंडाल ने कहा कि भूवैज्ञानिक विज्ञान में हाल के विकास, चुनौतियों और रणनीतियों को उजागर करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है और आइसोटोप जियोकेमिस्ट्री पर भी विशेष बल दिया जाएगा। प्रो. मोंडाल ने कहा कि कार्यशाला का उद्घाटन प्रातः 10 बजे भूविज्ञान विभाग में होगा। प्रो. सांतनु बनर्जी (आईआईटी बॉम्बे), डॉ. वलीउर रहमान (वैज्ञानिक ई, एनसीपीओआर) और प्रो. नुरुल अबसार (पांडिचेरी विश्वविद्यालय) कार्यशाला के दौरान व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
एएमयू में 12 सप्ताह की श्योर कार्यशाला संपन्न
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा बाउर कॉलेज ऑफ बिजनेस, ह्यूस्टन विश्वविद्यालय, यूएसए के सहयोग से आयोजित 12 सप्ताह की स्टिम्युलेटिंग अर्बन रिन्यूवल थुरू एंटरप्रेन्योरशिप (श्योर) कार्यशाला में छात्रों को एक शैक्षिक और नेटवर्किंग और हैंडहोल्डिंग प्लेटफॉर्म प्रदान किया गया जिसमें प्रतिभागियों को उद्योग विशेषज्ञों और विविध पृष्ठभूमि से संभावित उद्यमियों के बीच मूल्यवर्धित साझेदारी की सुविधा भी प्रदान की गई।
इन संभावित उद्यमियों में इंजीनियरिंग और वाणिज्य के छात्र, संघर्षरत और छोटे स्तर के उद्यमी, कम संसाधन वाले समुदायों की महिलाएं और ऐसे व्यक्ति शामिल थे जो व्यवसाय सीखना चाहते हैं। कार्यशाला का आयोजन जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम के तहत किया गया था। समापन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि भारत के दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने के साथ और एमएसएमई द्वारा रोजगार सृजन कि सम्भावना के दृष्टिगत उद्यमशीलता राष्ट्र के भविष्य के विकास और प्रगति की कुंजी है और श्योर कार्यक्रम नए उद्यमियों को सहयोग और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रोफेसर गुलरेज ने कहा कि एएमयू समर्पण के साथ देश की सेवा करने वाला एक सार्वजनिक संस्थान है। एएमयू ने पांच गांवों को गोद लिया है जहां विश्वविद्यालय के विभिन्न विभिन्न समस्याओं तथा स्वास्थय के मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने का काम कर रहे हैं। मानद अतिथि मीनू राणा, एडीएम एफ-आर, अलीगढ़ ने कहा कि उद्यमिता कार्यक्रम नए कौशल सीखने और ज्ञान को उन्नत करने का अवसर प्रदान करते हैं। प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि मजबूत बिंदुओं की पहचान करना और कौशल विकास प्रगति और सफलता की कुंजी है। आपको अपना उद्यम स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए, इस प्रकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और देश की जीडीपी में वृद्धि करना संभव हो सकेगा।
कार्यशाला के अध्यक्ष और एएमयू के वित्त अधिकारी, प्रो. मोहसिन खान ने कहा कि उद्यमिता को अक्सर आर्थिक वृद्धि और विकास के एक महत्वपूर्ण इंजन के रूप में देखा जाता है। भारत जैसे उभरते आर्थिक समाज में, जिसकी जनसंख्या अब चीन से अधिक है और बेरोजगारी दर 7.45 प्रतिशत है, जिसका उद्यमिता ही एकमात्र समाधान है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस दिशा में सभी महत्वपूर्ण कदम उठा रही है और मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्टार्ट-अप के माहौल को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन का इरादा स्टार्टअप संस्कृति को आगे बढ़ाने और भारत में नवाचार और उद्यमिता के लिए एक समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का भी है।
प्रो मोहसिन ने कहा कि श्योर वर्कशॉप एक ऐसा कदम है जो उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं को पूरा करता है और उसमें योगदान देता है। श्योर वर्कशॉप की संयोजक और निदेशक, प्रो आसिया चैधरी ने कहा कि कार्यशाला में लागत और लेखा, बैंकिंग, डीआईसी, मार्केटिंग, कानूनी सलाह आदि पर विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। कार्यशाला के कुछ उल्लेखनीय परिणाम यह थे कि कई प्रतिभागियों ने अपना स्टार्टअप तैयार कर, अपने ट्रेडमार्क और जीएसटी पंजीकरण करा लिया, कागजी कार्रवाई शुरू कर ली और सहयोगी बैंकरों, डीआईसी, खरीदारों और विक्रेताओं के साथ बात चीत शुरू कर दी।
प्रो आसिया ने कहा कि 4 इंजीनियरिंग छात्रों का एक समूह जिन्होंने पहले से ही शैक्षिक सॉफ्टवेयर विकसित कर लिया है, श्योर कार्यक्रम से सीखने के बाद जल्द ही अपना स्टार्टअप लॉन्च करने के लिए तैयार हैं, जबकि संजीदा बेगम और उल्फत क्रमशः सिलाई कढ़ाई और विज्ञान और गणित के लिए कोचिंग सेंटर लॉन्च करने जा रही हैं। इसी तरह, अब्दुर रहमान अपने कांच के व्यवसाय को बढ़ा रहे हैं, जबकि नौरीन और हुदा ने पर्यावरण के अनुकूल अपने पेपर बैग व्यवसाय के लिए कदम बढ़ाया है।
श्योर कार्यशाला में प्रशिक्षित होने के बाद इकरा और अदीना ने अपने फैशन कोचिंग संस्थान की शुरुआत की, जबकि फराह कार्यशाला के तुरंत बाद एक जिम की स्थापना कर रही हैं। वाणिज्य संकाय के डीन, प्रो. मो. नासिर जमीर कुरैशी ने कहा कि महामारी के बाद के आर्थिक परिदृश्य में व्यापर मंदी या पूर्ण बंदी का शिकार हो गया, बेरोजगारी बढ़ गई, और कर संग्रह में भी भारी कमी आयी। इस पृष्ठभूमि में सूक्ष्म उद्यमिता की अवधारणा अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि एमएसएमई दुनिया भर में अधिकतर व्यापार के लिए जिम्मेदार है और रोजगार सृजन और वैश्विक आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है।
विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर एस.एम. इमामुल हक ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला के प्रतिभागियों नाजिश और दिव्यांश शांडिल्य ने अपने अनुभव साझा किए। डॉ. अनवर अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मुशाहिद अली शम्सी और मो. अब्दुल्ला ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यशाला में 58 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्हें सर्टीफिकेट भी वितरित किये गये।
बौद्धिक संपदा अधिकार पर एएमयू शिक्षक का व्याख्यान
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कानून संकाय के प्रोफेसर सैयद अली नवाज जैदी ने स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल अफेयर्स, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ‘बौद्धिक संपदा अधिकार और समकालीन दुनिया में इसका महत्व’ विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान दिया। ज्ञात हो कि हर साल 26 अप्रैल को ‘विश्व बौद्धिक संपदा दिवस’ मनाया जाता है।
अपने व्याख्यान में प्रो जैदी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के बारे में पता होना चाहिए, जो एक निश्चित अवधि के लिए अपने आविष्कार या निर्माण की रक्षा के लिए आविष्कारक या निर्माता को दिए गए कानूनी अधिकारों को संदर्भित करता है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम 2000 में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल इनोवेशन काउंसिल (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा स्थापित किया गया था ताकि इस बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके कि पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिजाइन दैनिक जीवन पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
ये कानूनी अधिकार आविष्कारक/निर्माता या उनके प्रतिनिधियों को एक निश्चित अवधि के लिए अपने आविष्कार/सृजन का पूर्ण उपयोग करने का विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। कार्यक्रम का आयोजन इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) के सहयोग से किया गया था। कार्यक्रम की मेजबानी डॉ. यशफीन अली, सहायक प्रोफेसर, एसएलएलए, एनआईयू ने की। एसएलएलए के निदेशक डॉ मनु सिंह ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
एएमयू वीसी ने ‘विविधता में एकता’ पर मन की बात के प्रभाव का मूल्यांकन करने वाली शोध रिपोर्ट का सारांश जारी किया
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने आज सर सैयद अकादमी, एएमयू में एक समारोह में एक अनुभवजन्य अध्ययन के आधार पर शोध रिपोर्ट का सारांश जारी किया कि कैसे ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने भारत में रहने वाले विभिन्न क्षेत्रों और धर्म के लोगों के दिल और दिमाग में विविधता में एकता की भावना को मजबूत किया है।
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित, ‘विविधता में एकता के संवैधानिक आदर्श को साकार करनाः मन की बात का एक प्रभाव मूल्यांकन’ शीर्षक वाला अध्ययन डॉ. मोहम्मद नासिर (सहायक प्रोफेसर, कानून विभाग, एएमयू), डॉ. अहमद मूसा खान (सहायक प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, एएमयू), और समरीन अहमद (कानून विभाग, एएमयू)) को स्वीकृत किया गया था।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात ने करोड़ों लोगों के बीच लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से जनता के बीच वसुधैव कुटुम्बकम और बहुसंस्कृतिवाद के सिद्धांतों के अनुरूप एकता और विविधता को लोकप्रिय बनाया है।
कुलपति ने कहा कि मन की बात समाज के हर वर्ग को एक संदेश के साथ छूती है जो उन्हें उत्कृष्टता और सफल होने के लिए प्रेरित करती है, भारतीयता का जश्न मनाती है और जीवन के साथ अपनेपन और प्रेम की भावना को मजबूत करती है। रिपोर्ट पेश करते हुए डॉ. मोहम्मद नासिर ने कहा कि जनता से जुड़ने की क्षमता के मामले में पीएम मोदी कि छवि एक प्रतिष्ठित नेता के रूप में हमेशा बनी रहेगी। ‘मन की बात’ ने उनकी इस क्षमता को अनोखे तरीके से पुष्ट किया है। वह राष्ट्र की विविधता का जश्न मनाने की वकालत करने के लिए इसे एक धुरी के रूप में सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मन की बात का एक मजबूत सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पहलू है क्योंकि यह ‘विविधता में एकता’ के संवैधानिक आदर्श के प्रति लोगों की मानसिकता को ढालना चाहता है। शोध के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. नासिर ने विस्तार से बताया कि कैसे शोध से पता चलता है कि मन की बात अंतर-धार्मिक संवाद, ‘वसुधैव कुटुंबकम’, विभिन्न भारतीय त्योहारों के उत्सव आदि पर बार-बार जोर देने के माध्यम से विविधता में एकता को मजबूत करने का एक प्रभावी साधन बना है। उन्होंने अध्ययन के सैद्धांतिक ढांचे और अनुसंधान पद्धति पर भी चर्चा की।
सह-लेखक डॉ अहमद मूसा खान ने शोध के नतीजे पेश किए। उन्होंने बताया कि मन की बात का विविधता में एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उच्च आवृत्ति वाले उत्तरदाताओं ने विविधता में एकता में अधिक विश्वास दिखाया है। उन्होंने कहा कि मन की बात सुनने से पहले कई उत्तरदाताओं को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की प्राचीन भारतीय अवधारणा के बारे में पता नहीं था।
उन्होंने बताया कि पीएम ने मन की बात के माध्यम से भारतीयों में गर्व की भावना पैदा की है। पहले, त्योहारों को विशिष्ट धर्मों से संबंधित के रूप में निर्धारित किया जाता था, लेकिन पीएम के बार-बार अंतर-धार्मिक त्योहार समारोहों में भाग लेने के आह्वान के साथ, अधिक भारतीय अब धार्मिक त्योहारों को ‘भारतीय त्योहारों’ के रूप में देखते हैं। इससे पूर्व सर सैयद अकादमी के निदेशक प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी ने अतिथियों का स्वागत किया और अध्ययन के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मन की बात के माध्यम से प्रधान मंत्री ने उन सभी भारतीयों के साथ एक सामाजिक-सांस्कृतिक बंधन स्थापित किया है जो स्वयं को मूल्यवान महसूस करते हैं।
एएमयू के वित्त अधिकारी प्रोफेसर एम मोहसिन खान ने कहा कि मन की बात ने भारत में रेडियो संस्कृति को पुनर्जीवित किया है। उन्होंने सार्थक अनुभवजन्य अध्ययन के लिए आईसीएसएसआर से समर्थन प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं को बधाई दी। सर सैयद अकादमी के उप निदेशक डॉ मोहम्मद शाहिद ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सैयद हुसैन हैदर ने किया। इस अवसर पर प्रो. अब्दुल अलीम, डीन, छात्र कल्याण, प्रो. मोहम्मद अशरफ, डीन, विधि संकाय, प्रो. नासिर जमीर कुरैशी, डीन, वाणिज्य संकाय, प्रो. एसएम इमामुल हक, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, प्रो. जफर अहमद खान, चेयर प्रोफेसर, बीआर अंबेडकर चेयर फॉर लीगल स्टडीज और अन्य शिक्षक उपस्थित थे।
29 अप्रैल को हज प्रशिक्षण कार्यशाला
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कल्चरल एजूकेशन सेंटर द्वारा लब्बैक हज सोसाइटी, अलीगढ़ के सहयोग से 29 अप्रैल शनिवार को कैनाडी हाल में हज प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन प्रातः 9.30 बजे से किया जा रहा है।
इस कार्यशाला में हज पर जाने वाले श्रद्वालुओं को हज के दौरान आने वाली समस्याओं और उनसे बचने के उपायों के बारे में अलहाज मुनीस खान (राष्ट्रीय हज ट्रेनर) और पूर्व कोआर्डीनेटर मक्का मदीना, दिल्ली तथा स्टेट हज ट्रेनर एएमयू के अलहाज तौफीक अहमद खान द्वारा जानकारी प्रदान की जायेगी। हज पर जाने वाले श्रद्वालू इस कार्यशाला में पहुंच कर इसका लाभ उठा सकते हैं। महिलाओं के बैठने के लिये अलग से व्यवस्था की गई है।