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इग्नू अध्ययन केंद्र के पुनर्निर्मित भवन, ई-सामग्री विकास, साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक लैब का उद्घाटन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने आज विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) और प्रोफेसर आसिम जफर (विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान विभाग) के साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के एएमयू अध्ययन केंद्र के पुनर्निर्मित भवन तथा कंप्यूटर साइंस विभाग में ई-सामग्री प्रयोगशाला और साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक लैब का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर प्रोफेसर गुलरेज ने कहा कि इग्नू स्टडी सेंटर देश के श्रेष्ठ अध्ययन केंद्रों में से एक है, जो अपने शिक्षार्थियों को उत्कृष्ट फैकल्टी और ट्रेनर के साथ अत्याधुनिक शैक्षिक बुनियादी सुविधायें उपलब्ध करा रहा है। प्रोफेसर आसिम जफर को उनके प्रयासों के लिए बधाई देते हुए प्रोफेसर गुलरेज ने कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा की गई पहल की प्रशंसा की और कहा कि ई-सामग्री विकास प्रयोगशाला और साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक लैब, जिसका आज उद्घाटन किया गया, एक समयोचित निवेश है। मुझे विश्वास है कि यह सुविधा उच्च गुणवत्ता वाली ई-सामग्री तैयार करने में सहायक होगी।

एएमयू में अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक लैब की स्थापना की सराहना करते हुए रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने कहा कि यह समय की मांग है और यह बुनियादी ढांचा साइबर सुरक्षा, अपराध और फोरेंसिक जांच क्षेत्र में उच्च शोध अध्ययन के लिए छात्रों को बढ़ावा देगा। इग्नू के पुनर्निर्मित अध्ययन केंद्र के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि इग्नू समाज के सभी वर्गों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करके दूरस्थ और खुली शिक्षा के माध्यम से भारतीय आबादी की सेवा कर रहा है।

अपने स्वागत भाषण में, प्रोफेसर आसिम जफर (समन्वयक, इग्नू अध्ययन केंद्र-एएमयू) ने इग्नू अध्ययन केंद्र के संक्षिप्त इतिहास को साझा किया और इसके द्वारा उपलब्ध पाठ्यक्रमों की एक झलक प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह एक जीवंत अध्ययन केंद्र है और इसकी इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी और इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी, जिसके लिए उन्होंने एएमयू प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

प्रोफेसर जफर ने हाई-एंड पीसी, सर्वर युक्त ई-कंटेंट लैब और साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक लैब की स्थापना के पीछे के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आज के शैक्षणिक माहौल में ई-सामग्री विकास के महत्व को रेखांकित किया। इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ सफदर आजम ने इसके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और के इसके कामकाज में एएमयू के योगदान के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरमान रसूल फरीदी ने किया और डॉ. सैयद हुसैन हैदर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

प्रो आसिम सिद्दीकी जनसंपर्क कार्यालय के नए एमआईसी बने

अलीगढ  मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रो मोहम्मद आसिम सिद्दीकी को जनसंपर्क कार्यालय का नया एमआईसी नियुक्त किया गया है। प्रो आसिम सिद्दीकी, जो अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष भी हैं, के पास 30 से अधिक वर्षों का शिक्षण अनुभव है और उन्होंने अपने लम्बे सेवा काल में विभिन्न क्षमताओं में यूनिवर्सिटी की सेवा की है। वह जनसंपर्क समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।

उन्होंने ओयूपी, सीयूपीरूटलेज (टेलर और फ्रांसिस), ओरिएंट ब्लैकस्वान, ब्लूम्सबरी और कई अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशन गृहों द्वारा अपनी पुस्तकें प्रकाशित की हैं। उन्होंने डॉ राहत अबरार के साथ ‘जहां-ए-सैयद’ (2017) और डा. राहत अबरार व फायजा अब्बासी के साथ मिलकर ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास’ (2021) का भी संपादन किया जो टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित किए गए थे। उनकी सबसे हालिया पुस्तक प्रख्यात कवि शहरयार (2021) पर एक मोनोग्राफ है, जिसे साहित्य अकादमी द्वारा मेकर्स ऑफ इंडियन लिटरेचर सीरीज के अंतर्गत प्रकाशित किया गया है। वह 2007 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में फुलब्राइट फेलो भी रह चुके हैं।

प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी नियमित रूप से पत्रिकाओं और पुस्तकों के लिए शोध पत्र और पुस्तक समीक्षा का योगदान करते रहते हैं और उनक ेलेख गार्जियन, द हिंदू, हिंदुस्तान टाइम्स, द स्टेट्समैन, रेडिफ. कॉम, स्क्रॉल.इन, एनडीटीवी, फ्रंटलाइन, इंडिया टुडे मैगजीन, द बुक रिव्यू, बिब्लियो आदि में प्रकाशित होते रहते हैं। वह उर्दू और हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद में गहरी दक्षता रखते हैं और उनके अनुवाद कई पुस्तकों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वह डॉ. बी.आर. अम्बेडकर (सीडब्लूबीए), डॉ अम्बेडकर फाउंडेशन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की एक परियोजना ‘कम्प्लीट वर्क्स ऑफ डॉ बी आर आंबेडकर’ के उर्दू अनुवाद के प्रबंध संपादक हैं। उन्होंने अंजुमन तरक्की उर्दू हिंद के लिए उर्दू साहित्य और भाषा पर अंग्रेजी किताबों पर एक पाक्षिक वेबकास्ट की सफलतापूर्वक मेजबानी भी की है।

राष्ट्रीय सम्मेलन में एएमयू के शिक्षक और शोधार्थी की सहभागिता

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग के शिक्षकों और शोधार्थियों के एक समूह ने विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद जहाँगीर वारसी के नेतृत्व में ‘मातृभाषा, बहुभाषावाद और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ पर भाषाविज्ञान और लोककथाओं के 9वें अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लिया। सम्मलेन का आयोजन केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर, पंजाबी भाषाविज्ञान संघ, पटियाला और उत्तर क्षेत्रीय भाषा केंद्र, पटियाला के सहयोग से भाषाविज्ञान और पंजाबी कोशविज्ञान विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला द्वारा किया गया था। पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के कुलपति, प्रो. अरविंद ने कांफ्रेंस का उद्घाटन किया।

“मातृभाषा शिक्षा और एनईपी-2020 की प्रासंगिकता” पर उद्घाटन भाषण देते हुए प्रो. जहाँगीर वारसी ने कहा कि लेक्सीकोग्राफी एनईपी-2020 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जब भारत सरकार स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दकोशों को संकलित करने का इरादा करे तो पंजाबी यूनिवर्सिटी के भाषा विज्ञान और पंजाबी लेक्सीकोग्राफी विभाग की सेवाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि कैसे भारत की बहुभाषी व्यवस्था पर अंग्रेजी के वर्चस्व वाले एकभाषी अभ्यास का अतिक्रमण किया गया है, क्योंकि औपनिवेशवादी दिमाग ने अंग्रेजी के प्रभुत्व में मदद की। डॉ. पल्लव विष्णु, सहायक प्रोफेसर, भाषा विज्ञान विभाग ने ‘भारतीय व्याकरणिक परंपरा’ पर दूनी चंद्र स्मारक व्याख्यान दिया और ‘भाषा और सामाजिक विविधताः भाषण आवास के विशेष संदर्भ में मातृभाषा शिक्षण का एक आवश्यकता आधारित विश्लेषण’ पर एक पेपर भी प्रस्तुत किया। इसके अलावा, भाषाविज्ञान विभाग के अतिथि संकाय, डॉ नोमन ताहिर ने ‘ककराला उर्दू का एक वाक्य रचनात्मक अध्ययन’ पर एक पेपर प्रस्तुत किया।

सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के दौरान कई शोधार्थियों ने पेपर भी प्रस्तुत किए। सौम्या आबिदी और उजमा आफरीन ने ‘कोविड-19 महामारीः सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भाषाई स्तर पर भाषा के उपयोग का अध्ययन’ पर एक संयुक्त पत्र प्रस्तुत किया। महबूब जाहिदी ने ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वरिष्ठ माध्यमिक अंग्रेजी भाषा शिक्षकों के प्रदर्शन पर सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी)ः एक महत्वपूर्ण विश्लेषण’ पर एक पेपर प्रस्तुत किया।

नीला परवेज और सैयद तल्हा ने संयुक्त रूप से ‘डिजिटल लोकगीतः नए मीडिया के माध्यम से भाषा की भूमिका की खोज’ पर एक पेपर प्रस्तुत किया, जबकि यासिर हसन अहमद अल-कुदिमी, शोध विद्वान और प्रो शबाना हमीद ने ‘यमनी ईएफएल छात्रों के बीच मिश्रित शिक्षा को लागू करने के बाद अंग्रेजी सीखने की पृष्ठ्भूमि में बदलाव’ विषय पर एक संयुक्त पेपर प्रस्तुत किया। इफरा जमा ने ‘लखमिनियावी बोली के सामाजिक-वर्णनात्मक अध्ययन’ पर अपना पेपर प्रस्तुत किया।

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