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जेएन मेडिकल कालिज में विश्व स्वास्थ्य सप्ताह मनाया गया

अलीगढ़  मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग द्वारा विश्व स्वास्थ्य सप्ताह 2023 के उपलक्ष में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य‘ विषय के तहत स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर सायरा मेहनाज ने कहा कि सप्ताह भर चलने वाले समारोह की शुरुआत नोडल अधिकारी डा समीना अहमद की देखरेख में अंडरग्रेजुएट क्विज से हुई। क्विज में शामिल होने वाली 19 टीमों में से मंतशा अहमद, हिरा अफसर और सना नाज की टीम विजेता बनकर उभरी।

ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र, जवां के तहत फील्ड अभ्यास क्षेत्र, सुमेरा गांव में एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसकी देखरेख प्रभारी सदस्य, आरएचटीसी, डा उजमा इरम और एमओ, यूएचटीसी, डा सुबूही अफजाल ने की। विभाग के सीनियर और जूनियर रेसिडेंट्स और आरएचटीसी में तैनात इंटर्न ने गांव के लगभग 100 लाभार्थियों की जांच, इलाज और प्रबंधन में भाग लिया और उन्हें कुछ सामान्य बीमारियों के लिए मुफ्त दवाएं दीं और उन्हें जीवन शैली और आहार में बदलाव की सलाह दी।

आरएचटीसी, जवां में एक स्किट (नुक्कड़ नाटक) का भी मंचन किया गया, जिसमें स्वास्थ्य समस्या के मामले में प्रारंभिक चिकित्सा परामर्श के महत्व पर जोर दिया गया। नाटक में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे एक शिक्षित महिला अपने परिवार के सदस्यों को अच्छी स्वच्छता, महिला शिक्षा के महत्व और डाक्टरों से शीघ्र परामर्श के महत्व के बारे में प्रेरित करती है। इस अवसर पर डॉ. उजमा इरम ने उपस्थितजनों को स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया। डॉ तबस्सुम नवाब ने विभिन्न संचारी रोगों की रोकथाम के लिए परिवार के सदस्यों के बीच स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता के रखरखाव के महत्व पर जोर दिया। प्रोफेसर एम अतहर अंसारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

एएमयू के रिसर्च स्कॉलर को मिली प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप

अलीगढ़  मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग के शोधार्थी मोहसिन जावेद को प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। वह ‘उत्तर पश्चिमी हिमालय के कश्मीर क्षेत्र में कश्मीर कस्तूरी मृग (मोस्कस क्यूपरस) के पारिस्थितिकी खतरों और समुदाय-आधारित संरक्षण‘ पर काम करेंगे। मोहसिन ने बताया कि कस्तूरी मृग वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में सबसे अधिक संकटग्रस्त और अनुसूचित प्रजाति है। कस्तूरी के कारण इस प्रजाति पर बहुत अधिक अवैध शिकार का दबाव है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उच्च मांग है, जिसका उपयोग इत्र और दवा उद्योगों में किया जा रहा है। मोहसिन डाक्टर उरूस इलियास के मार्गदर्शन में पीएचडी कर रहे हैं।

 

प्रोफेसर एफएस शीरानी अध्यक्ष नियुक्त

अलीगढ  मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सा संकाय के कुल्लियत विभाग के प्रोफेसर फवाद सईद शेरानी को संबंधित विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होगा। प्रो. शीरानी ने आज अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस के छात्रों को मिला जॉब प्लेसमेंट

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण एवं नियोजन कार्यालय (सामान्य) द्वारा आयोजित एक भर्ती अभियान में कृषि विज्ञान संकाय के 5 छात्रों को भारत की अग्रणी कृषि आधारित कंपनियों में से एक, दयाल ग्रुप द्वारा कार्यकारी प्रशिक्षु के रूप में चयनित किया गया है। टीपीओ, साद हमीद ने बताया कि चयनित छात्रों में रोहित उपाध्याय, (एमबीए-एग्री बिजनेस), अनस खान (एमबीए-एग्री बिजनेस), एस कैफ उर रहमान (एमबीए-एग्री बिजनेस), अब्दुल एम खान (एमएससी-एग्रोनॉमी) तनवीर अहमद (एमएससी- कृषि विज्ञान) शामिल हैं।

 

प्रो.सुबूही खान अकादमिक परिषद में नए सदस्य नियुक्त

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बेगम अजीजुन निसा हॉल की प्रोवोस्ट, प्रोफेसर सुबुही खान को दो साल की अवधि के लिए या जब तक वह संबंधित हॉल की प्रोवोस्ट रहती हैं, प्रोवोस्टों के बीच वरिष्ठता के आधार पर अकादमिक परिषद, एएमयू की सदस्य घोषित किया गया है।

फारसी शोध संस्थान में फारसी विद्वान डज्ञ. तकी आबिदी का व्याख्यान

अलीगढ  मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी शोध संस्थान में कनाडा से पधारे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आलोचक और साहित्यकार डा. तकी आब्दी उर्दू के प्रख्यात कवि अल्लामा इकबाल की अप्रकाशित काव्य रचना विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि अल्लामा इकबाल ने उस समय अपने कलाम के एक हिस्से को प्रकाशित नहीं किया था। उन्होंने कहा कि यह कलाम हालांकि उपलब्ध तो है लेकिन इस पर विस्तार से अभी तक शोध कार्य नहीं हुआ है।

डा. आब्दी ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर कार्य किया है और शीघ्र ही 800 पृष्ठों पर आधारित उनका शोध कार्य इकबाल प्रेमियों तक पहुंच जायेगा। उन्होंने उन नज्मों को भी पढ़ा जो अल्लामा इकबाल ने बच्चों के लिये नसीहत के रूप में लिखी थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू के प्रख्यात आलोचक प्रो. काजी जमाल हुसैन ने की। उन्होंने डा. आब्दी के व्याख्यान की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने व्याख्यान में जो नई बातें पेश की हैं निश्चित रूप से उससे लोगों के ज्ञान में वृद्वि होगी।

फारसी शोध संस्थान के निदेशक प्रो. मोहम्मद उस्मान गनी ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रोफेसर आब्दी ने जिस विषय का चयन किया है वह बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि युवा छात्र अल्लामा इकबाल पर हो रहे इस शोध कार्य से लाभांवित होंगे। प्रो. आजरमी दुख्त सफवी ने अतिथि वक्ता का परिचय कराया। प्रो. सैयद सिराज अजमली ने प्रो. आब्दी द्वारा साहित्य के क्षेत्र में किये गये कार्यों का उल्लेख किया। डा. एहतेशामउद्दीन ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर डा. तकी आब्दी की कई किताबों का विमोचन भी हुआ।

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