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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ईरानी महिलाओं के प्रतिनिधिमंडल का दौरा
ईरान के सांस्कृतिक सलाहकार डा अली रब्बानी के नेतृत्व में ईरानी महिलाओं के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी शोध केंद्र, महिला अध्ययन केंद्र तथा मोइनुद्दीन अहमद आर्ट गैलरी का दौरा किया और महिला कॉलेज के कार्यक्रमों में भाग लिया।


कुलपति की धर्मपत्नी प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ डा हमीदा तारिक द्वारा मोइनुद्दीन अहमद आर्ट गैलरी में ईरानी कैलीग्राफी और चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी में ईरान के जाने-माने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कलाकारों और कैलीग्राफिस्ट, सेपिदा अशरफी और फातिमा जराई के सौ  से अधिक चित्रों को प्रदर्शित किया गया। ज़री, और कैलीग्राफी के नमूने प्रदर्शित किए गए। आर्ट गैलरी की निदेशक प्रोफेसर बदर जहां ने प्रदर्शनी और कैलीग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया।
उसके बाद फारसी रिसर्च सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा हमीदा तारिक ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप मंे प्रख्यात शिक्षाविद एवं महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर ़जकिया अतहर सिद्दीकी ने शिरकत की।
ईरान के प्रसिद्ध अल-ज़हरा महिला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और संयुक्त राष्ट्र में ईरानी महिलाओं की प्रतिनिधि, महिला मामलों की महानिदेशक, प्रोफेसर ख़दीजा करीमी ने उपस्थितजनों को संबोधित किया और ईरान में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी पर डेटा प्रस्तुत किया। उन्होंने ईरान के विरूध पश्चिमी मीडिया के नकारात्मक प्रचार का भी उल्लेख किया।
प्रोफेसर ज़किया सिद्दीकी ने एएमयू में महिलाओं की उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला और सुझाव दिया कि फ़ारसी में अनुसंधान केंद्र को इस विषय पर काम करना चाहिए। ईरान कल्चर हाउस के कल्चरल काउंसलर डा अली रब्बानी ने अपने भाषण में फारसी साहित्य में महिलाओं के योगदान का उल्लेख किया और इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए फारसी शोध केंद्र को बधाई दी।
डाक्टर हमीदा तारिक ने कहा कि इस प्रतिनिधिमंडल के आने से हमें ईरान में शिक्षा और जीवन के अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन के बारे में पता चला। उन्होंने इस्लाम में महिलाओं को दिए गए अधिकारों का भी उल्लेख किया और कहा कि फारसी रिसर्च सेंटर ने इस कार्यक्रम का आयोजन कर चर्चा का बेहतरीन अवसर प्रदान किया है।
केंद्र के निदेशक प्रोफेसर मोहम्मद उस्मान गनी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और भारत तथा ईरान के प्राचीन संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन दोनों देशों के संबंध बहुत प्राचीन हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और ईरान के संबंध मजबूत बनाने में फारसी भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रोफ़ेसर अज़रमी दुख़्त सफ़वी ने कहा कि इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है क्योंकि वे ज़्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य आदि में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इस संबंध में उन्होंने अनेक महिला लेखकों का जिक्र किया।
इसके बाद महिला अध्यक्ष केंद्र में एक पैनल चर्चा हुई, जिसमें अल-ज़हरा विश्वविद्यालय, तेहरान में इस्लामी कानून और फ़िक़ह के प्रोफेसर ज़हरा सादात मीर हाशमी ने बताया कि कैसे ईरानी संसद ने वर्षों से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की है। घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून, महिलाओं को तलाक मांगने की सुविधा का प्रावधान, मातृत्व मामलों में विशेष सुविधा आदि जैसे कानून बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब ईरान में महिलाओं की साक्षरता दर 90 प्रतिशत तक पहुंच गई है। परिचर्चा में केंद्र के शिक्षक व छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। केंद्र की निदेशक प्रो अज़रा मूसवी ने फारसी और ईरानी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को धन्यवाद दिया।

अल्जीरिया में प्रोफेसर मुहम्मद सनाउल्लाह नदवी का भाषण
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद सनाउल्लाह नदवी को अल्जीरिया की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजधानी में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। इन कार्यक्रमों में अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद सनाउल्लाह नदवी ने भारत और अल्जीरिया के बीच ऐतिहासिक साझेदारी जैसे विषयों पर चर्चा की।




प्रोफेसर सनाउल्लाह ने एक शैक्षणिक सत्र की अध्यक्षता की और उपमहाद्वीप, एशिया और अफ्रीका के विद्वानों और विद्वानों के आपसी संबंधों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने भारत और अल्जीरिया समेत अरब जगत के बीच व्यापक संबंधों को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अरबी भाषा, साहित्य और साझा सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।इस्लामी अध्ययन विभाग में इस्लाम की आध्यात्मिक अवधारणा पर व्याख्यान
 ‘आज के संकट काल में विश्व स्तर पर मनुष्य मानसिक और हृदय रोगों का शिकार हो गया है। वैश्वीकरण के इस दौर में अतीत की तुलना में भले ही चिकित्सा विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली हो, लेकिन आज की दुनिया मानसिक और मनोवैज्ञानिक रोगों के छिपे हुए रूपों की खोज नहीं कर पा रही है। स्थिति यह है कि जैसे-जैसे ड्रग्स और क्लिनिकल परीक्षण आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मानसिक और हृदय रोगों की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ये विचार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व डीन प्रोफेसर अकबर हुसैन ने इस्लामी अध्ययन विभाग के साप्ताहिक व्याख्यान में व्यक्त किए।
प्रोफेसर अब्दुल मजीद खान व विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद इस्माइल ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। डा जियाउद्दीन फलाही ने कहा कि प्रोफेसर अकबर हुसैन ने अंग्रेजी भाषा में 54 पुस्तकें और 200 से अधिक लेख लिखकर छात्रों, शिक्षकों और शोध छात्रों के लिए व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इंडिया मार्ट ने एएमयू किशनगंज सेंटर के छात्रों को चयनित किया
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के किशनगंज केन्द्र के प्रशिक्षण एवं नियोजन कार्यालय-सामान्य एवं प्रशिक्षण एवं नियोजन कार्यालय, किशनगंज केन्द्र की ओर से आयोजित ई-कॉमर्स कम्पनी इंडिया मार्ट में आठ छात्रों का चयन किया गया है।



ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट आफिसर जनरल श्री साद हमीद ने बताया कि चयनित छात्रों के नाम आस्था गुप्ता (पीजीडीबीएम), हिमांशु शर्मा (पीजीडीबीएम), नाविश अहमद (एमबीए), अजीजुर रहमान (एमबीए), नबील अहमद (एमबीए) ), खान मोहम्मद साजिद (एमबीए), सरथलक गुप्ता (एमबीबी) और शीश शईश (एमबीए) शामिल हैं।एसटीएस स्कूल के छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण
अलीगद मुस्लिम विश्वविद्यालय के एसटीएस स्कूल (मिंटो सर्कल) के 6 छात्रों को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए सफीर अहमद खान मेमोरियल स्कॉलरशिप का वितरण किया गया।


अब्दुल सभी, एसके सरफराज, मुहम्मद जुलकिफ्ल खान, मुहम्मद फायक, मुहम्मद शादाब अंजुम और पीयूष यादव को प्रोफेसर अरशद उमर (प्रिंसिपल, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक, बॉयज) और एसटीएस स्कूल के पूर्व छात्र इंजीनियर फजल खान ने छात्रवृत्ति राशि प्रदान की। इस अवसर पर श्री फजल खान ने छात्रों से आग्रह किया कि वे गंभीरता के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखें और बाधाओं से निराश न हों।
एसटीएस स्कूल के प्राचार्य श्री फैसल नफीस ने छात्रवृत्ति जारी रखने और जरूरतमंद छात्रों की मदद करने के लिए इंजीनियर फजल खान को धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों से अपनी क्षमता के अनुसार कड़ी मेहनत करने और समाज की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने को कहा।
मौलाना आजाद पुस्तकालय में पुस्तकों की प्रदर्शनी का कुलपति द्वारा उद्धाटन
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद पुस्तकालय द्वारा आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान छात्रों, शोधार्थियों और फैकल्टी सदस्यों सहित पुस्तक प्रेमियों ने विभिन्न स्टालों पर उपलब्ध पुस्तकों को देखा और अपनी पसंदीदा पुस्तकों का चयन किया।



पुस्तक मेला मंगलवार को मौलाना आज़ाद पुस्तकालय के हरे-भरे लॉन में शुरू हुआ, जहाँ विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र, शोधार्थी और संकाय सदस्य अपनी पसंद की किताबें ब्राउज़ करने और खरीदने के लिए आए। एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में विभिन्न विषयों में प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के महत्वपूर्ण प्रकाशनों को प्रदर्शित किया गया।
कुलपति ने कहा कि किताबों की अपनी महिमा और महत्व होता है और विज्ञान के अनुसार किताबें पढ़ने से मन और स्वास्थ्य पर बेहतर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने पुस्तक प्रदर्शनियों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह के अवसर अकादमिक समुदाय को अपनी रुचि के विषयों पर किताबें देखने और अपने ज्ञान को बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं।
रजिस्ट्रार श्री मुहम्मद इमरान आईपीएस ने कहा कि “कोई भी तकनीक किताबों के महत्व को कम नहीं कर सकती है। किताबों से ही समाज में बदलाव आता है। उन्होंने छात्रों में पढ़ने की आदत को फिर से बनाने की जरूरत पर जोर दिया। विश्वविद्यालय कीे लाइब्रेरियन और पुस्तक प्रदर्शनी के आयोजक प्रोफेसर निशात फातिमा ने बताया, इस आयोजन का उद्देश्य पाठक और पुस्तक को एक छत के नीचे लाना था। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के आयोजन न केवल छात्रों, शोधकर्ताओं और संकाय सदस्यों के लिए खरीद के लिए पुस्तकों का चयन बल्कि पुस्तकालय पेशेवरों के लिए भी बहुत मददगार होते हैं।
प्रदर्शनी के डिप्टी लाइब्रेरियन और समन्वयक डा हबीबुर रहमान खान ने कहा, ‘इस साल का देश भर के सूचीबद्ध और स्वीकृत प्रकाशकों, विक्रेताओं और पुस्तक विक्रेताओं के 35 स्टालों को लगाया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले वर्ष से कम से कम दो दिन पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।

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