जेएनएमसी में डॉक्टरों ने की दुर्लभ सर्जरी, नसों की समस्या से निजात दिलाई
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पैरों में सूजन से पीड़ित पांच मरीजों पर न्यूनतम इनवेसिव एंडोवस्कुलर लेजर एब्लेशन प्रक्रिया करके उन्हें पैरों में उत्पन्न टेढ़ी-मेढ़ी नसों की तकलीफ से निजात दिलाई जिसके उपचार के लिए वे मलहम और अन्य घरेलू उपचार करके थक चुके थे और जो उनकी जीवन शैली को प्रभावित कर रही थी।

वैरिकाज़ नसों को बंद करने, उचित रक्त परिसंचरण को बहाल करने और कुछ हफ्तों के दौरान मुड़ी हुई, उभरी हुई नसों को ठीक करने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक थी। जेएनएमसी के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित और वैस्कुलर सर्जरी, बीएलके-मैक्स अस्पताल, नई दिल्ली के निदेशक डॉ सुहैल नसीम बुखारी द्वारा संचालित एक संवहनी कार्यशाला में अततः मरीजों की सफल ईवीएलए प्रक्रिया की गयी और स्वस्थ होने के तुरंत बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
डॉ. सुहैल बुखारी, जिन्होंने प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन (अध्यक्ष, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग), डॉ. शमायल रब्बानी, डॉ. मोहम्मद गजनफर, डॉ. सैफ अलीम और डॉ. नदीम रजा (एनेस्थेसियोलॉजिस्ट) के साथ सर्जरी की, ने कहा कि ईवीएलए वैरिकाज़ नसें जो समय पर इलाज न करने पर रक्त को पीछे की ओर प्रवाहित करती हैं, को कम करने के लिए लेजर से गर्मी का उपयोग करता है। वह कार्यशाला में ईवीएलए सर्जरी के बाद ‘वैस्कुलर सर्जरी में नई तकनीक’ पर व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि न्यूनतम इनवेसिव तकनीक सर्जिकल प्रगति में सबसे आगे रही है, और एंडोवास्कुलर प्रौद्योगिकियों के विकास ने भविष्य के नवाचार के फोकस में एक आदर्श बदलाव देखा है। नई तकनीकें लक्ष्य नेविगेशन और उपचार के अधिक नियंत्रण, स्थिरता और सटीकता को सक्षम करके पारंपरिक एंडोवस्कुलर तकनीकों से जुड़ी कई चुनौतियों को दूर करने में मदद करेंगी, साथ ही साथ ऑपरेटर लर्निंग कर्व्स को कम करेंगी और सुरक्षा में सुधार करेंगी।
उन्होंने सर गंगा राम, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स और मैक्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में वैस्कुलर और एंडो वैस्कुलर सर्जन के रूप में अपने दो दशकों के अनुभव के बारे में भी बताया। एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि वैरिकाज़ वेन्स के कारण बार-बार ठीक न होने वाले घाव हो सकते हैं और वेन्स से ब्लीडिंग हो सकती है जो आघात पहुँचने पर या अनायास टूट सकती है। लोग ऑपरेशन से डरकर इलाज नहीं कराते हैं। जबकि पारंपरिक उपचार दर्दनाक हो सकते हैं और अपेक्षाकृत लंबे समय की आवश्यकता होती है, न्यूनतम इनवेसिव ईवीएलए प्रक्रिया त्वरित उपचार और जल्द आराम प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि जेएनएमसी के डॉक्टर और सर्जन समाज के सभी वर्गों के लिए सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी प्रक्रियाएं कर रहे हैं, जबकि अधिकांश विशेष केंद्र इसके लिए अत्यधिक शुल्क लेते हैं और वहां रोगियों की अंतहीन कतारें होती हैं।
डीन, फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, प्रोफेसर एम यू रब्बानी ने बताया कि कैसे शुरुआती निदान और हस्तक्षेप वैरिकाज़ नसों को बदतर होने से रोकने में मदद कर सकता है। प्रिंसिपल, जेएनएमसी, प्रो राकेश भार्गव ने कहा कि यह गर्व का क्षण है। इस वर्कशॉप में सर्जरी की सफलता दर्शाती है कि जेएनएमसी में कितनी जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएं आसानी से और बहुत कम पैसों में की जाती हैं।
प्रोफेसर मोहम्मद आजम हसीन ने कहा कि ईवीएलए सर्जरी शरीर में किसी भी बड़े कट के बिना की जाती है और कॉस्मेटिक रूप से बेहतर और स्वीकार्य उपचार है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिंदा केंद्रों में ही इस प्रक्रियाओं को करने के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।
कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ शमायल रब्बानी और डॉ मोहम्मद गजनफर ने बताया कि ईवीएलए प्रक्रियाओं में केवल एक घंटे का समय लगता है, और अधिकांश रोगी तुरंत सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर देते हैं।
एएमयू में स्टार्ट-अप प्रतियोगिता का आयोजन
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों सौरव सारस्वत और दिव्यांक शांडिल्य ने अपना सर्वश्रेष्ठ पिच डेक तैयार किया जिसमें उन्होंने रचनात्मक दृश्यों के साथ पूरक पाठ और अपने स्टार्ट-अप विचार को समझाने के लिए सरल लेकिन मनोरम भाषा का इस्तेमाल किया, जिसने उन्हें गुरुवार को यूनिवर्सिटी पालीटेक्निक में इनोवेशन काउंसिल एंड यूनिवर्सिटी इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा आयोजित स्टार्ट-अप प्रतियोगिता ‘स्टेप अहेड‘ में पहला पुरस्कार जीतने में सहायता की।
उन्हें मुख्य अतिथि एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर और मानद अतिथि, प्रोफेसर मोहम्मद मोहसिन खान (वित्त अधिकारी) और प्रोफेसर मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी (डीन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय) एवं मोहम्मद हमज़ा (प्रबंध निदेशक) द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मिर्जा अली बेग ने दूसरा पुरस्कार हासिल किया जबकि, जूही फरीदी, युसरा मेराज और आतिफा अकील ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त किया। अरीबा खान व उनकी टीम व महिमा सिंह को सांत्वना पुरस्कार दिया प्रदान किया गया।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वाइस चांसलर, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि चूंकि हम उद्यम आधारित पूंजी के युग में जी रहे हैं, जहां कई निवेशक दुनिया को बदलने की कोशिश में प्रेरणा युक्त स्टार्टअप में निवेश करके महत्वपूर्ण फायदा हासिल कर रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि छात्र सीखें कि कैसे हजारों लोगों के सामने अपने नव विचार रखें और उन लोगों से जुड़ें जो उन्हें अगले स्तर तक ले जा सकते हैं।
स्वागत भाषण में प्रोफेसर इम्तियाज हसनैन (अध्यक्ष, आईसी और यूआईसी) ने छात्रों को बड़े विचारों के साथ आगे आने के लिए कहा जिन पर आगे काम किया जा सकता है और वे अपने स्टार्ट अप के विस्तार का समर्थन प्राप्त करने के लिए निवेशकों तक पहुंच बना सकते हैं। उन्होंने आईसी और यूआईसी की उपलब्धियों पर भी चर्चा की।
प्रोफेसर मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी ने जोर देकर कहा कि नवोदित उद्यमी प्रतिभाओं के लिए स्टार्ट-अप प्रतियोगिताएं उन संसाधनों और संगठनों से जुड़ने के लिए प्रशिक्षित होने के लिए सही मंच हैं, जिन्हें उन्हें लान्च करने और अपने विचारों को प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। वित्त अधिकारी प्रोफेसर मोहम्मद मोहसिन खान ने कहा कि दुनिया भर के निवेशक तकनीक, व्यापार और विज्ञान में परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मानद अतिथि मोहम्मद हमजा (संस्थापक और प्रबंध निदेशक, इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण समाधान प्राइवेट लिमिटेड) और अनिल कुमार सिंह (लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, केनरा बैंक) ने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की और छात्र प्रतिभागियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जो संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करती हैं। प्रोफेसर आसिया चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डज्ञ. अम्बरीन सलीम ने किया।
सार्थक सक्सेना (निदेशक, दीप एक्सपो इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड), अंकित अग्रवाल (निदेशक, स्वदेशी खादी ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड), अनिल कुमार सिंह (लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, केनरा बैंक), और डा आयशा फारूक (प्रोफेसर, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग) ने प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल थे। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ अपने विचार भी साझा किये।