जानिए स्वास्थ्य विभाग ने क्यों कहा, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को दी जाएगी रफ्तार ?

अलीगढ़ :
कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत कक्षा 9वी से 12वी तक सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों जिले के प्रत्येक विद्यालयों में छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण 18 तारीख से शुरू किया जा चुका है एवं गंभीर बीमारियों वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।

शासन से प्राप्त निर्देश के क्रम में जनपद अलीगढ़ में प्रत्येक बच्चे को स्वास्थ्य सुरक्षा व उसके समग्र स्वास्थ्य को बढावा देने के लिये राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) को शुरु किया है। जिसमें जन्म से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण सभी सरकारी विद्यालयों पर मोबाईल हैल्थ टीम के द्वारा किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों में संभावित चार विकारों यानि 4Ds होने की जांच कर बड़े चिकित्सालय में उपचार हेतु संदर्भित किया जाता है। इस कार्यक्रम को गति प्रदान करने के लिए अन्य जगहों पर सम्बद्ध स्टाफ की सम्बद्धता समाप्त कर दी गई है। जिससे कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सके।

आरबीएसके के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीके राजपूत ने बताया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए जिले में रफ्तार बढ़ा दी गई है। जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों की नियमित स्क्रीनिग, पहचान, फोलोअप, उपचार और आवश्यकता हुई तो रेफर भी किया जाता है। कार्यक्रम को वापस पटरी पर लाने का निर्देश दिया गया है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आनंद उपाध्याय ने बताया कि अतिकुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत कर जेएन मेडिकल कॉलेज के एनआरसी में भेजने का निर्देश दिये गए है। शासन के निर्देशानुसार सीएमओ ने इस दर को बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके लिए ओपीडी के दौरान बच्चों की स्क्रीनिग की जाती है। उसमें चिह्नित बच्चों को अस्पताल में उपचार किया जाता है। अगर बच्चे का उपचार स्थानीय अस्पताल में संभव नहीं है तो उसे उच्च मेडिकल संस्थान में भी रेफर किया जाता है। पहचान के बाद बच्चे का नियमित फोलोअप भी होता है।

कैसे होती है पहचान:

पहचान के लिए नवजात शिशु के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात मोबाइल हैल्थ टीम द्वारा नवजातों की जांच की जाती है। जन्म के छह सप्ताह तक के बच्चों के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर जांच करती हैं।

6 सप्ताह से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए आरबीएसके दल के मोबाइल स्वास्थ्य टीम आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंच कर जांच करती है। 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए यही टीम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में जांच करती है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि समय से विकलांगता का पता चलने पर स्थाई विकलांगता को कम किया जाता है इसके साथ ही विकलांग व्यक्ति के जीवन के स्तर को सुधार किया जा सकता है।

डीईआईसी मैनेजर मुनाजिर हुसैन ने कहा कि समय पर पहचान से इस बीमारी में मौत की दर को काफी कम किया जा सकता है। इसके साथ ही विकलांगता से भी बचाव संभव है। बच्चों में कुछ रोग बेहद आम होते हैं। दांत, ह्रदय और श्वसन संबंधी रोग की पहचान समय पर कर ली जाए तो इलाज संभव है।

इसके दौरान कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान निम्न मुख्य सावधानियों का भी ध्यान रखा जाए । परिक्षण से पूर्व एवं पश्चात साबुन एवं पानी से कम से कम 20 सेकंड हाथ धोएं तथा सैनिटाइजर का भी प्रयोग करें ।

-मास्क का प्रयोग किया जाए ।
-सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करें ।

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