उत्तरप्रदेश के जिला अलीगढ़ में बाल विवाह को लेकर लोगों की सोच में बदलाव नहीं हो रहा है। पिछले तीन साल के दौरान जनपद में 29 नाबालिग बेटियां बालिका बधु बनने से बच गई हैं। चाइल्ड लाइन व जिला बाल संरक्षण विभाग की टीमो ने पुलिस की मदद से उक्त नाबालिग बेटियों की शादी होने से पहले बचा लिया। सबसे ज्यादा बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्र में रोके गए हैं। अधिकतर मामलों में परिजनों की इच्छा से यह शादियां हो रही थीं। अशिक्षा व डर के चलते लोग यह शादियां करने को मजबूर थे ?

देश में सदियों से चली आ रही बाल विवाह जैसी परंपरा को खत्म करने के लिए सरकार लगातार कठोर से कठोर कानून बना रही है। समय-समय पर जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है। वहीं, समाज में लड़कियों को लड़कों के बराबर का दर्जा दिलवाने तथा लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए सामाजिक संस्थाएं भी अभियान चलाती हैं, लेकिन अभी तक सरकारी विभाग व सामाजिक संस्थाओं के प्रयास भी बाल विवाह रोकने में नाकाफी साबित हुए हैं।
जनपद में बाल विवाह रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। कोराेना काल में यह संख्या और बढ़ गई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में जहां में महज छह बाल विवाह के मामले पकड़ में आए थे। वहीं, वर्ष 2020-21 में यह संख्या 18 तक पहुंच गई। इस साल भी जिले में बाल विवाह के पांच मामले पकड़ में आ चुके हैं। जागरुकता के अभाव में अधिकतर बाल विवाह होते हैं।
पिछले सालों में पकड़े गए मामले
2019-20, छह
2020-21,18
2021-22, पांच
2 साल की सजा का प्राविधान
बाल विवाह एक कानूनन अपराध है। इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 का गठन कर रखा है। इसके तहत बाल विवाह होेने पर दो वर्ष की सजा व एक लाख का जुर्माना या दोनों का प्राविधान है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी स्मिता सिंह ने बताया कि बाल विवाह को लेकर जिले में जिल बाल संरक्षण विभाग की टीमें लगातार सक्रिय रहती हैं। पिछले तीन साल में 29 से ज्यादा बाल विवाह रोके गए। बाल विवाह को लेकर लगातार जागरुकता कार्यक्रम भी समय समय पर संचालित होते है।