यूपी के अलीगढ़ में तत्कालीन थानेदार और दारोगा के खिलाफ रिश्वतखोरी का मुकदमा दर्ज

– साल 2015 में 80 हजार रिश्वत लेकर छोड़ा था थाने से दो लोगों को

उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ में साल 2015 में अपने कार्यकाल में रिश्वत लेकर दो लोगों को थाने से छोड़ने के मामले में थाना लोधा के तत्कालीन प्रभारी धर्मेंद्र कुमार व दारोगा सुधीर कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया गया है। पीड़ित ने इसकी शिकायत सीएम पोर्टल पर की थी। इस पर एडीजी के आदेश पर एसपी स्तर से जांच हुई और पूर्व एसओ व दारोगा दोषी पाए गए।

जानकारी के अनुसार, साल 2015 में ग्राम प्रधान के चुनाव चल रहे थे। पुलिस ने प्रत्याशी राम कुमार शर्मा व उनके भतीजे हरीश कुमार को शांतिभंग की आशंका में गिरफ्तार किया था। चुनाव समाप्ति के बाद शाम को गांव नदरोई थाना लोधा बुलाया। तत्कालीन एसओ धर्मेंद्र कुमार व तत्कालीन दरोगा सुधीर डागर ने दोनों लोगों से 80 हजार रिश्वत की मांग की। बाद में रुपये लेकर दोनों को एक दिसंबर की रात करीब साढ़े 11 बजे थाने से छोड़ दिया। पीड़ित का आरोप है कि 80 हजार लेने के बावजूद पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। राजकुमार ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की। शासन को भी पत्र लिखा। मामला बढ़ते देख 11 दिसंबर 2015 को एसओ व दारोगा ने महेंद्र पाल निवासी नदरई को थाने बुलाकर रिश्वत की रकम लौटा दी। महेंद्र ने रुपये राजकुमार के पिता किशन गोपाल को दे दिए थे। मुकदमे के मुताबिक, तीन अक्टूबर 2018 को शासन को भेजे गए पत्र का संज्ञान लिया गया। इस पर अपर पुलिस महानिदेशक ने एसपी स्तर से जांच कराई। तत्कालीन एसपी ट्रैफिक अलीगढ़ व तत्कालीन एएसपी हाथरस की जांच में पूर्व एसओ धर्मेंद्र कुमार और दारोगा पर लगे आरोप सही पाए गए। इसके बाद लोधा थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह निवासी भूपाल कुंज थाना सिकंदरा जनपद आगरा और दारोगा सुधीर कुमार निवासी सहादतपुर एक्सटेंशन करावल नगर दिल्ली के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है। थाना प्रभारी लोधा रामवकील सिंह ने बताया कि कानपुर की भ्रष्टाचार निवारण संगठन के प्रभारी रामपाल की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन्हीं की तरफ से विवेचना की जा रही है।

अलीगढ़ से जाने के बाद भी नही सुधरे रिश्वतखोर धर्मेंद्र कुमार…

तत्कालीन थाना प्रभारी ने अलीगढ़ से जाने के बाद भी वर्दी पर दाग लगाया। फिलहाल उनकी तैनाती मेरठ के थाना हस्तिनापुर में थी। यहां भी फार्म हाउस प्रकरण में उन्हें निलंबित किया गया है।

ये है मेरठ का फार्म हाउस कांड..
आलीशान फार्महाउस बनवाने वाले एसओ विवादों के घेरे में हैं। मेरठ में वन और राजस्व विभाग इस बात की पड़ताल में जुटे हैं कि फार्म हाउस निर्माण की अनुमति थी या नहीं। इधर एसओ ने चार लाख रुपये में पौने दो बीघा जमीन खरीदने की बात स्वीकारी है। उनका कहना है कि पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए ससुर ने पैसा दिया था। उन्होंने पत्नी की पासबुक की प्रति भी पेश की है।

एसओ धर्मेंद्र सिंह ने मेरठ के चाणक्यपुरी शास्त्रीनगर की एसटूएस कालोनी में 2018 में फ्लैट भी लिया था। उनका परिवार इसी फ्लैट में रह रहा था. लॉकडाउन हुआ तो धर्मेंद्र परिवार को भी हस्तिनापुर ले गए थे।

जून 2019 में धर्मेंद्र सिंह ने पत्नी कल्पना सिंह के नाम से पौने दो बीघा जमीन खरीदी थी। धर्मेंद्र ने उसकी रजिस्ट्री पेश की। जमीन चार लाख दस हजार रुपये में खरीदी गई । उनके ससुर शीशपाल भी पुलिस में इंस्पेक्टर रह चुके हैं, जो कि अलीगढ़ से रिटायर हुए हैं।

वहीं कृषि भूमि पर फार्महाउस बनाने के मामले में एसडीएम कमलेश गोयल का कहना है शासन ऐसे मामलों में कमेटी गठित करता है। इसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जद में मामला आता है। अभी जांच का विषय है, उसके बाद ही कार्यवाही की जाएगी। इधर, मेरठ एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि फार्म हाउस मामले में सीओ मवाना जांच कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। वहीं, बिजली चोरी मामले में बिजली विभाग कार्यवाहीकर रहा है।

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