अधिशासी अभियंता से ठगी करने वाला शातिर गिरफ्तार

-विद्युत विभाग में तैनात अभियंता से की थी पौने दो लाख की ठगी

-पुलिस ने गिरफ्तार कर डेढ़ लाख रुपए कराए खाते में फ्रीज

उत्तरप्रदेश के जिला मुरादाबाद में साइबर थाना पुलिस ने विद्युत विभाग में तैनात अधिशासी अभियंता के साथ ठगी करने वाले एक शातिर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शातिर ने एक माह पहले अपने तीन साथियों के साथ मिलकर अधिशासी अभियंता के खाते से पौने दो लाख रुपए पार कर लिए थे। पुलिस ने शातिर के पास से काफी तादाद में बैंक पासबुक, चेकबुक, एटीम और डेबिट कार्ड बरामद किए हैं। साथ ही आरोपी के खाते में करीब डेढ़ लाख रुपए फ्रीज करा दिए हैं।

मूल रूप से जिला गाजियाबाद के थाना इंद्रापुरम के सेक्टर-10 वसुधंरा निवासी प्रेम कुमार मझोला स्थित विद्युत ट्रांसमिशन मंडल प्रथम में बतौर अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात है। प्रेम कुमार ने बताया कि दिसंबर के आखिरी सप्ताह में उनके मोबाइल पर युवक का फोन आया। खुद को बैंककर्मी बताते हुए उसने खाते के संबंध में जानकारी ली। बाद में एक लिंक भेजा, इसके बाद ओटीपी पूछकर उनके खाते से 1 लाख 75 हजार 200 रुपए निकाल लिए। खाते से रकम निकलने का मैसेज आने के बाद उनके होश उड़ गए। बैंक में मामले की सूचना देने के साथ ही 31 दिसंबर को साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

इधर, रिपोर्ट दर्ज होने के बाद साइबर थाना प्रभारी नरेशपाल सिंह ने जांच कर दिल्ली में दबिश देकर एक युवक को पकड़ लिया। साइबर शातिरों के गिरोह का खुलासा करते हुए एएसपी अनिल कुमार यादव ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी बिहार के समस्तीपुर के थाना हसनगंज इलाके के दुधपुरा गांव निवासी राजकुमार दास है। उसने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर बिजली विभाग के अधिकारी के साथ ठगी की थी। चारों दिल्ली में रहकर लोगों को अपना शिकार बनाते है। इनका एक साथी पहले ही गिरफ्तार हो चुका है। पकड़े गए आरोपी के पास से सात बैंक पासबुक, 19 चेकबुक, सात मोबाइल,18 एटीएम, चार आधार कार्ड, पांच पेन कार्ड और तीन डीएल बरामद किए गए हैं। इसके अलावा उसके खाते में जमा 1 लाख 45 हजार रुपय फ्रीज करा दिए गए हैं। जल्द यह रकम प्रेम कुमार के खाते में ट्रांसफर कराने की कार्रवाई की जाएगी।

एएसपी अनिल कुमार ने पूछताछ में बताया कि अभी तक करीब 12 लाख की धोखाधड़ी कर चुके हैं। यह रकम विभिन्न खातों में ट्रांसफर कराई थी। नए खाते खुलवाने के लिए यह लोग जरूरतमंद या फिर विकलांग लोगों को अपने साथ मिला लेते हैं। खुद रकम खर्च करके उनका विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाते थे। बाद में रकम आने के बाद कुछ हिस्सा खाता धारक को भी देते थे। आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर जेल भेज दिया है।

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