अलीगढ़ के दो भाइयों ने काले गेंहू की फसल उगाई !

उत्तरप्रदेश के जिला अलीगढ़ में अब काले गेहूं की खेती में भी शुरू हो गई है। ब्लॉक जवां के गांव सुनामई के रहने वाले प्रमोद कुमार और उनके बड़े भाई सतीश कुमार ने यू-ट्यूब से सीखकर पांच बीघा खेत में काले गेहूं की पैदावार की है। दोनों ने बताया कि पौष्टिकता से भरपूर काले गेहूं की मांग लगातार बढ़ रही है। पिछले वर्ष काला गेहूं 90 से 100 रुपये प्रति किलो बिका था।

मोहाली के नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की शोधार्थी मोनिका गर्ग ने तीन साल पहले काले गेहूं की जानकारी सार्वजनिक की थी। इस फसल की जानकारी यू-ट्यूब पर मिली तो गांव सुनामई के सतीश व प्रमोद ने भी खेती की योजना बनाई। यू-ट्यूब से जानकारी हासिल करने के बाद जनवरी 2021 में काले गेहूं का बीज बोया। बीज मध्य प्रदेश से मंगाया था। तीन महीने में फसल तैयार हो गई। बुधवार को थ्रेसिंग की तैयारी की जा रही थी।

प्रमोद ने बताया कि इस फसल की खास बात यह है कि इसमें पानी की मात्रा कम देनी पड़ी है। पिछले साल 90 और 100 रुपये प्रति किलो काला गेहूं बिका था। हरदुआगंज मंडी में काला गेहूं बेचने की जानकारी की तो वहां के आढ़ती और आश्चर्यचकित रह गए कि क्या अलीगढ़ में भी काला गेहूं होता है! आढ़तियों ने गेहूं का सैंपल मंगवाया है। फसल निकालने के बाद मंडी जाएंगे।

साधारण गेहूं और काले गेहूं में ये होता है फर्क
सामान्य गेहूं और काले गेहूं में प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और स्टार्च बराबर होता है। जबकि आयरन, जिंक और एंथोसाइनीन की मात्रा में फर्क होता है। आयरन की मात्रा जहां 60 फीसदी अधिक रहती हैं। वहीं सामान्य गेहूं के 5 से 10 पीपीएम एंथोसाइनीन के मुकाबले काले गेहूं में 100 से 200 पीपीएम तक एंथोसाइनीन होता है।

 

एंथोसाइनीन से ही फल और सब्जियों में होते हैं रंग
किसान भाइयों और क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि एंथोसाइनीन की बदौलत ही फल और सब्जियों में रंग होते हैं। यह पोषक तत्व इंसानी शरीर के लिए काफी बहुमूल्य बताया जाता है।

 

सुनील कुमार पुत्र पूरन सिंह ने बताया कि एंथोसाइनीन और आयरन की अधिक मात्रा वाले काले गेहूं के बारे में जब जानकारी मिली तो खेती करने की लालसा जाग उठी। इसकी फसल की तो पता चला कि यह साधारण गेहूं की फसल की तरह उगाई जाती है। इसमें बस एक बात यह कि इसके कुल्ले (फुटेर) अधिक होते हैं। बीज भले ही दूर-दूर बिखेरो, फसल खेत को खुद को कवर कर लेती है। इसमें पानी भी कम लगता है।

 

प्रभारी अधिकारी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र कलाई डॉक्टर सुधीर सारस्वत ने बताया कि अलीगढ़ में भी काले गेहूं की फसल उगाई जा रही है, यह बात सत्य है। इस फसल में फुटेर अधिक होती है। इसमें आयरन और एंथोसाइनीन की मात्रा भी अधिक होती है। जैविक खेती की सूचना मिली तो संबंधित किसानों से संपर्क किया जा रहा है। विगत सालों में ही काले गेहूं की फसल का ट्रेंड सामने आया है।

 

क्रेडिट-अमर उजाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: