UP : शक के आधार पर अधेड़ को थाने में पुलिसकर्मियों ने दी थर्ड डिग्री, टप्पेबाजी का मुकदमा निकम्मी पुलिस ने पांचवे दिन लिखा ! जानिए क्या है पूरा मामला

 

उत्तरप्रदेश के जिला सुल्तान पुर के कुड़वार में बीती 17 जून को 11 बजे ग्रामीण बैंक से 40 हजार की टप्पेबाजी होती है। CCTV के आधार पर लगभग दो घंटे बाद थाने के सिपाही क्षेत्र के एक वीडियो मिक्सिंग लैब पर पहुंचते हैं। शक के आधार पर एक 55 साल के अधेड़ व्यक्ति से पूछताछ कर उसकी तलाशी लेते हैं। पीड़ित को बुलाकर पहचान कराते हैं, लेकिन शिनाख्त नही होती। आरोप है सिपाही उसे थाने लेकर पहुंचते है अधेड़ व्यक्ति को थर्ड डिग्री दी जाती है। अपनी करतूत छिपाने के लिए पुलिस उसका शांति भंग में चालान कर देती है। मंगलवार को थर्ड डिग्री देने का मामला तूल पकड़ता है और फिर बुधवार को  टप्पेबाजी के शिकार बुजुर्ग की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज कर लेती है।



जानकारी के मुताबिक, 17 जून को कुड़वार थाना इलाके के बाजार स्थित ग्रामीण बैंक में  बहुबरा गांव के रहने वाले बुजुर्ग विश्राम से एक अज्ञात व्यक्ति ने 40 हजार रुपयों की टप्पेबाजी की घटना को अंजाम दिया था। विश्राम इसकी शिकायत लेकर थाने पहुंचे तो हरकत में आई । पुलिस ने CCTV वीडियो के आधार पर जांच पड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान बाजार में ही एक वीडियो मिक्सिंग लैब में सिपाहियों ने बल्दीराय ब्लॉक के पूरे नेवल निवासी अधेड़ कालीचरण को देखा तो उसकी शक्ल बिल्कुल विश्राम के साथ रहने वाले उसी व्यक्ति की तरह लगी। शक के आधार पर पुलिस कर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया। थाने लाकर पूछताछ करने लगे। आरोप है कि पूछताछ की आड़ में पुलिस कर्मियों ने कालीचरण को थर्ड डिग्री दी। जिसके चलते उसके हाथ की हड्डी टूट गई। उनके शरीर पर कई जगह थर्ड डिग्री के निशान हैं।

उधर, पुलिस ने अगले दिन अधेड़ व्यक्ति का शांतिभंग में चालान कर दिया गया। इसके बाद कालीचरण इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंच। अस्पताल से ही उसने जिलाधिकारी से शिकायत कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही है। इस मामले में आज एसपी डॉक्टर विपिन मिश्रा के निर्देश पर ASP विपुल श्रीवास्तव व सीओ सिटी डॉक्टर राघवेंद्र चतुर्वेदी ने थाने पहुंचकर जांच की।

 

लेकिन यहां कई सारे सवाल खड़े हो गए हैं। अगर कालीचरण ही ने घटना कारित किया तो पुलिस ने चोरी के बजाए उसका शांतिभंग में चालान क्यों किया ? जब पुलिस के पास 17 जून को ही शिकायत पहुंच गई थी और पुलिस उस आधार पर जांच कर रही थी तो मुकदमा दर्ज करने में उसे पांच दिन क्यों लग गए ?  अगर कालीचरण सही कह रहा है तो फिर घटना को अंजाम देने वाला वो शख्स है कौन ? यह वो सवाल हैं जिसका जवाब सिर्फ पुलिस ही दे सकती है।

बता दें, कुड़वार थाने में पुलिस बर्बरता का ये कोई पहला और नया मामला नहीं है। साल 2021 में 3 जून को भी थाने के लॉकअप में बंदी राजेश कोरी की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी। पुलिस कर्मी उसे स्वास्थ्य केंद्र कुड़वार लेकर गए थे। जहां से उसको  जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में SP डॉ. विपिन मिश्रा ने लापरवाही बरतने के आरोप में तत्कालीन थाना प्रभारी अरविंद पांडे, एसआई शस्त्रजीत प्रसाद,  हेड कॉन्स्टेबल बृजेश कुमार सिंह को निलंबित कर दिया था। साथ ही पहरे पर तैनात होमगार्ड भोलेन्द्र के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के लिए जिला कमांडेंट होमगार्ड सुलतानपुर को सूचित किया था।




इससे पहले कुड़वार थाने में दिसंबर 2019 में भंडरा परसुरामपुर के रहने वाले महेंद्र निषाद की भी मौत हो गई थी। महेंद्र का पत्नी से अक्सर विवाद होता रहता था। एक दिन झगड़े के बाद महेंद्र की पत्नी मायके चली गई थी। जिसकी शिकायत उसने थाने पर थी। इसके बाद पुलिस महेंद्र को थाने उठा ले गई। देर शाम उसकी हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवारजन ने थाने में पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया था। अब ये मामला भी पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

 

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