एएमयू की बीटेक, बीएएलएलबी व बीएड पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा संपन्न

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की बी.टेक, बी.आर्क, बीएएलएलबी पाठ्यक्रमों व बीएड प्रवेश परीक्षा रविवार को कोलकाता, लखनऊ, पटना, श्रीनगर और कोझीकोड सहित अलीगढ़ के विभिन्न केंद्रों पर प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच संपन्न हो गई। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में 7776 उम्मीदवार शामिल हुए। इसमें 9711 अभ्यार्थियों ने आवेदन किया था।

 

परीक्षा नियंत्रक डा मुजीबुल्लाह जुबेरी के अनुसार इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा अलीगढ़ में ग्यारह केंद्रों पर आयोजित की गई।
इसके अलावा, बीएएलएलबी व बीएड की प्रवेश परीक्षा एएमयू और कोलकाता और कोझीकोड के अन्य केंद्रों में रविवार को शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित की गई। बीएएलएलबी पाठ्यक्रम के लिए 4202 उम्मीदवारों ने प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया था। जबकि 3812 उम्मीदवारों ने बी.एड प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया।


एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न परीक्षा केंद्रों का दौरा किया। उन्होंने प्रवेश परीक्षा सुचारू रूप से आयोजित करने के लिए शिक्षकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों की प्रशंसा की। उन्होंने आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन को भी धन्यवाद दिया।




एएमयू के वरिष्ठ शिक्षकों को एएमयू के विभिन्न केंद्रों पर पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। साथ ही अलीगढ़ से बाहर के केंद्रों पर वरिष्ठ शिक्षकों को ओवरऑल प्रभारी नियुक्त किया गया।
उम्मीदवारों और उनके अभिभावकों की मदद और मार्गदर्शन के लिए एनएसएस स्वयंसेवकों और एएमयू स्टाफ सदस्यों द्वारा शिविर भी आयोजित किए गए।

 

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में एएमयू शिक्षकों द्वारा व्याख्यान

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर समीना खान और प्रोफेसर रश्मि अत्री ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी रामायण की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत में रामायण के सामाजिक-सांस्कृतिक और साहित्यिक पहलुओं पर बोलते हुए, देश की सामान्य संस्कृति और परंपरा पर प्रकाश डाला।


प्रोफेसर समीना खान ने ‘रामायण एज़ ए यूनिवर्सल टेक्स्टः ए स्टडी ऑफ़ उर्दू लिटरेचर एंड इट्स इम्पैक्ट ऑन आर्टिस्टिक ट्रेडिशन ऑफ़ नॉर्थ इंडिया‘ पर बात की, जबकि प्रोफेसर रश्मि अत्री ने रामचरित मानस के पारिस्थितिक अध्ययन पर बात की।




प्रोफेसर समीना ने बताया कि कैसे रामायण ने सांस्कृतिक, राष्ट्रीय और धार्मिक सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव डाला और उर्दू शायरी पर रामायण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ‘मुंशी जगन्नाथ लाल खुश्तार के 1860 में रामायण के पहले अनुवाद के बाद से, रामायण के कई काव्य अनुवाद उर्दू में किए गए हैं। प्रोफेसर समीना ने बृज नारायण चकबस्त की कविता ‘रामायण का एक सीन‘ और अल्लामा इकबाल की कविता ‘राम‘ पर भी चर्चा की। प्रोफेसर रश्मि अत्री ने कहा कि रामचरित मानस मानव प्रकृति के सम्मान पर प्रकाश डालती है और प्राचीन काल की समृद्ध जैव विविधता पर जोर देती है।

 

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