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संत-साहित्य भारतीय चिंतन की विभिन्न विचार-सरणियों का अपूर्व समुच्चय -पद्मश्री प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा मराठी अनुभाग और पंजाबी अनुभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर कला संकाय के लाउंज में “संत साहित्य के मूल्य, सामाजिक चेतना और प्रासंगिकता’’ विषय पर आयोजित द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को आनइलान संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति पद्मश्री प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी ने कहा कि, “संत-साहित्य भारतीय चिंतन की विभिन्न विचार-सरणियों का अपूर्व समुच्चय है। तत्कालीन भारत के अज्ञान, अशिक्षा और अनैतिकता के अंधकारमय युग में अपने समाज के निम्न स्तर से संबंधित संतों ने स्वानुभूति और सहजावस्था के बल पर ज्ञान की जो ज्योति प्रज्ज्वलित की, वह अद्भुत एवं अपूर्व है।

 

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि, “आज मानव-मानव में धर्म, अर्थ, स्तर आदि के आधार पर भेद चरम पर हैं। इस भेद को मिटाकर ही एकता के निर्माण द्वारा स्वस्थ समाज की नींव डाली जा सकती है। संत कवियों के अनुसार यह सारा जगत् एक ही तत्व से उत्पन्न है। इसलिए सभी प्रकार की भेद-मिथ्या है। इसी तत्व दृष्टि से प्रेरित संत कवियों ने जाति-पांति, छूआ-छूत, ऊँच-नीच के भेद का विरोध किया।

अतिथि के रूप में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, छत्रपति संभाजी नगर के पूर्व मराठी विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश बड़वे ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “आज वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के युग में मनुष्य मनुष्य से दूर होता जा रहा है। वह आत्मकेंद्रित हो गया है। वह मानवीय आचरण में व्याप्त नैतिक मूल्यों से भटक रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में मनुष्य को उचित शिक्षा देने के लिए नैतिक मूल्यों और जागरुकता का विकास करना आवश्यक है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और सुप्रसिद्ध कवि प्रो. मोहनजीत सिंह ने कहा कि, “संत साहित्य में विचार आज के वैज्ञानिक युग के साथ-साथ समकालीन संदर्भ में भी कई तरह से उपयोगी हैं। इस पर कई तरह से विचार किया जा सकता है। आज समाज में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। समाज में अस्थिरता, अनिश्चितता और असुरक्षा व्याप्त है।

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे के पूर्व मराठी विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश अवलगांवकर ने कहा कि, “संत साहित्य की सात सौ वर्षों की समृद्ध परंपरा है। संत साहित्य और उसे बहुमूल्य विचार कालातीत हैं और आज भी आधुनिक युग में वे समाज को एक नई दृष्टि, एक नई सोच देते हैं और समाज को सभ्य बनाते हैं। संत साहित्य के विचार आज भी मार्गदर्शक हैं।

उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के जनसंपर्क अधिकारी श्री अरविंद नारायण मिश्रा ने कहा कि, “संतों की शाश्वत वाणी का महत्त्व मध्ययुग में ही नहीं, भारतीय संस्कृति के लिए हर युग में रहेगा। संत-काव्य साधनों में तत्पर एवं सर्वजन की मंगलकामना करने वाले भक्तों के सरल-हृदयों की सहज अनुभूति का चित्रण-मात्र है।

कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आरिफ नजीर ने कहा कि, सामाजिक परिस्थितियों से निर्मित साहित्य सामाजिक परिस्थितियों को बदल देता है। उस साहित्य ने न केवल तत्कालीन समाज को प्रभावित किया बल्कि समाज को भी बदल दिया। संत साहित्य की सामाजिक परिवर्तन शक्ति उस समय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रक्रिया आज भी चल रही है।

प्रख्यात पंजाबी साहित्यिक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मनजीत सिंह ने कहा कि, “संतों के आंदोलन को मात्र धार्मिक आंदोलन की दृष्टि से देखना अनुचित होगा क्योंकि उसके प्रणेताओं का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन करना ही था, उन्होंने लौकिक और आध्यामिक जीवन के लिए समान रूप से उपयोगी एक नई आचरण संहिता प्रतिपादित की।

विभाग के चेअरपर्सन प्रो. एम.ए. झरगर ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के डायरेक्टर डॉ. ताहेर पठान ने किया। संगोष्ठी के समन्वयक प्रो. क्रान्ति पाल ने धन्यवाद् ज्ञापित किया और साथ ही साथ डॉ. ताहेर पठान की ’दलित साहित्याचे बहुविध आयाम और दलित लिटरेचर इन इण्डियन लैंग्वेज’ पुस्तकों का भी लोकार्पण हुआ। इस संगोष्ठी में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अलावा दूसरे विश्वविद्यालयों से पधारे शोधार्थी एवं विद्वान 63 शोध आलेख पढ़ेंगे।

अंत में जॉनी फॉस्टर ने तराना को मराठी, पंजाबी, कश्मीरी, हिन्दी, मलयालम, बंगाली आदि भाषाओं में प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।

सर सैयद पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 21 मार्च को

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सर सैयद अकादमी के तत्वाधान में 21 मार्च 2023 को ‘सर सैयद एज फोररनर ऑफ मॉडर्न सिराह राइटिंग्स’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

अकादमी के निदेशक प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी ने कहा कि एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करेंगे जबकि एनसीपीयूएल के निदेशक प्रोफेसर अकील अहमद मुख्य अतिथि होंगे।

खुसरो फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अख्तरुल वासे मुख्य भाषण देंगे और ईरान के प्रोफेसर रजा शाकेरी रुदबारकी उद्घाटन भाषण देंगे। इस्लामी अध्ययन के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और राइस यूनिवर्सिटी, यूएसए से संबद्ध प्रोफेसर क्रेग कंसीडीन ऑनलाइन व्याख्यान देंगे।

प्रोफेसर नकवी ने कहा कि कुलपति प्रो. तारिक मंसूर कार्यक्रम में मकालात-ए-सर सैयद (सर सैयद के कार्यों के कलेक्शन का एक भाग) का 7वे खंड, जिसमें सिराह पर उनकी विख्यात पुस्तक, खुतबात-ए-अहमदिया शामिल है, जिसे सर सैयद ने सर विलियम मुइर द्वारा लिखित पुस्तक, लाइफ ऑफ मोहम्मद के जवाब में लिखा है, का विमोचन करेंगे।

विज्ञान में मुस्लिम महिलाओं के योगदान पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक अध्ययन विभाग द्वारा ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मुस्लिम महिलाओं का योगदान’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि और प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. हमीदा तारिक ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं के योगदान पर प्रकाश डाला और शैक्षिक विकास और लैंगिक तटस्थता के संबंध में धार्मिक स्थिति पर चर्चा की।

उन्होंने उच्च अध्ययन करने में मुस्लिम महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले लैंगिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवरोधों पर भी प्रकाश डाला।

सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन, प्रोफेसर मिर्जा असमर बेग ने विषय के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात की और मुस्लिम उलेमा से मुस्लिम महिलाओं के शैक्षिक उत्थान और सामाजिक हठधर्मिता से उनकी मुक्ति के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया।

उन्होंने मुस्लिम विद्वानों द्वारा सामना की जाने वाली सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं पर प्रकाश डाला और समाज के सशक्तिकरण के लिए उन्हें दूर करने के तरीके सुझाए।

मानद अतिथि रसायन विभाग के प्रोफेसर फर्रुख अरजुमंद ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अधिकांश चुनौतियों का सामाजिक असर होता है और धार्मिक प्रतिबंधों से इसका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि रसायन विज्ञान की छात्रा होने के नाते इस्लाम हमेशा उन्हें विज्ञान के रहस्यों को जानने और इस क्षेत्र में शोध करने के लिए प्रेरित करता रहा है।

मुख्य भाषण देते हुए प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान डॉ. रजीउल इस्लाम नदवी ने विज्ञान में मुस्लिम महिलाओं के योगदान पर बात की और इन क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण में अधिक निवेश की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए अधिक समर्थन और सलाह की आवश्यकता पर  यह कहते हुए जोर दिया कि मुस्लिम पुरुषों को महिलाओं के शैक्षिक अधिकारों को मान्यता देनी चाहिए जो इस्लाम द्वारा स्वीकृत हैं।

इससे पूर्व, अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर अब्दुल हमीद फाजिली ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मुस्लिम महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करने और इसका जश्न मनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी का उद्देश्य उनके योगदान को उजागर करना और इन क्षेत्रों में करियर बनाने में उनके सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दों का पता लगाना है।

उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मुस्लिम महिलाओं के योगदान को अक्सर अनदेखा किया गया है या कम करके आंका गया है। यह संगोष्ठी इस क्षेत्र में उनकी भूमिका को समझने और अधिक विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।

संगोष्ठी के संयोजक डॉ. बिलाल अहमद कुट्टी ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मुस्लिम महिलाओं के योगदान की उपेक्षा की गई है, जबकि इसके विपरीत उन्होंने इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया है और यह मान्यता के योग्य है।

डॉ. हमीदा तारिक ने विभाग परिसर में एक फाउंटेन का भी उद्घाटन किया और डॉ. जियाउद्दीन की दो पुस्तकों समेत दो जर्नल, जर्नल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज (अंग्रेजी) और मुजल्लाह उलूम-ए-इस्लामी (उर्दू) का विमोचन किया।

संगोष्ठी में विचार-विमर्श के बाद एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया और प्रतिभागियों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। फिरदौसा अख्तर ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रोफेसर फाजली ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं पर कार्यक्रम का आयोजन

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के अधीन चल रहे ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र (आरएचटीसी), जवान द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर सायरा मेहनाज ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया और सभी स्तरों पर लैंगिक समानता और समावेश को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया।

मानद अतिथि, प्रोफेसर जुल्फिया खान ने जोर देकर कहा कि एक बच्ची को शिक्षित करना समाज को शिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बचपन से ही अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे शुरू से ही इस बात से अवगत रहें कि उनकी क्षमता क्या है और एक चुनौतीपूर्ण परस्थिति में खुद को कैसे मुखर करना चाहिए।

एक अन्य मानद अतिथि डॉ. सुम्बुल खान ने इस बात पर जोर दिया कि समाज की मजबूत नींव के निर्माण में महिलाओं की बड़ी भूमिका होती है और उनके लिए एक प्रगतिशील समाज के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।

पूजा सैनी (सहायक विधिक सहायता बचाव पक्ष अधिवक्ता, अलीगढ) ने मुख्य अतिथि दिनेश कुमार नागर (अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अलीगढ) के संदेश को संप्रेषित करते हुए महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर प्रकाश डाला और बताया कि महिलाएं अक्सर कानूनी मदद लेने से हिचकिचाती हैं क्योंकि उन्हें परिवार के सदस्यों और समाज की आलोचना का डर होता है।

यदि उनके पति उनका साथ नहीं देते हैं तो वे पारिवारिक मामलों में भी अलग-थलग पड़ जाती हैं। ऐसे मामलों में उन्हें परिस्थिति के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1091 (केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड) पर डायल करके कानूनी उपायों के माध्यम से अपने अधिकारों कि सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए।

किशन कुमार सिंह और सोमेंद्र शर्मा, सहायक कानूनी सहायता बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि कैसे महिलाएं कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने संबंधित सेल की संपर्क जानकारी भी प्रदान की।

इससे पूर्व, डॉ. उज्मा इरम (सदस्य प्रभारी, आरएचटीसी) ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि डॉ. शिवांगी (सीनियर रेजिडेंट) ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का संक्षिप्त परिचय दिया।

डॉ. तबस्सुम नवाब ने धन्यवाद ज्ञापित किया।इस अवसर पर लगभग 60 महिलाओं को निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान की गईं और निःशुल्क हिमोग्लोबिन जांच एवं दवाईयों के साथ-साथ कानूनी सहायता जागरूकता पैम्फलेट वितरण किये गए।

आफताब हॉल में साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आफताब हॉल में आयोजित तीन दिवसीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उत्सव ‘मरासिम 0.4’ के तहत निबंध लेखन, रचनात्मक लेखन, एएमयू क्विज, इस्लामिक क्विज, स्व रचित कविता प्रतियोगिता, मुशायरा व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। तीन दिवसीय महोत्सव में किरत व नात प्रतियोगिता भी हुई।

उद्घाटन समारोह के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए, प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि एएमयू ने आपको बहुत कुछ सिखाया है, जिसमें खुद को प्रस्तुत करना भी शामिल है, जिसे ‘जीवन जीने की कला’ के रूप में जाना जाता है। एएमयू के छात्रों ने दुनिया भर में जीवन के हर क्षेत्र में अपनी सफलता का लोहा मनवाया है। इस महान संस्था की संस्कृति और तहजीब के सम्बन्ध में सीखने के लिए बहुत कुछ है।

स्वागत भाषण देते हुए डॉ. सलमान खलील, प्रोवोस्ट ने छात्रावास के दिनों की याद ताजा करते हुए अपने सुखद व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि एएमयू विश्व की ऐसी शिक्षण संस्था है जहां के पूर्व छात्र आजीवन इस इदारे से जुड़े रहते हैं।

अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो आसिम सिद्दीकी ने छात्रों को अपने करियर पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने उन्हें साहित्य और कला पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान किया।

अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर राशिद नेहल ने कहा कि आफताब हॉल और आफताब हॉस्टल एएमयू के इतिहास में महत्वपूर्ण हॉस्टल हैं। उन्होंने कहा कि बुद्धि, हास्य, क्षमता और लचीलापन एलिग्स की पहचान हैं।

उद्घाटन समारोह के दौरान, प्रत्येक छात्रावास के सीनियर हाउस, सचिव और संयुक्त सचिव ने अतिथियों और प्रोवोस्ट को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन यासिर अली खान ने किया। आभार अब्दुल गफ्फार अंसारी ने जताया।

मुशायरा में एक बड़ी भीड़ ने शिरकर की जिसमें डॉ मोइद रशीदी, सैफ इमरान, यासिर मलिक, नवाब यासिर अली खान, अरीब उस्मानी, आली सुबूर, रईस अहमद, अरमान खान, अब्दुल मन्नान साम्बदी, अहमर नदीम जैसे कवि शामिल थे। डॉ सरफराज खालिद, सफर नकवी, साईम अलीग, काजिम रिजवी, अतकीउर रहमान हस्स, नोमान खान और डॉ सरवर साजिद ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुशायरे का संचालन जावेद अशरफ ने किया। नवाब यासिर अली खान, रिसर्च स्कॉलर ने उद्घाटन कार्यक्रम की मेजबानी की।

कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा हैकथॉन एएमयूहेक्स 2.0 का आयोजन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग की कंप्यूटर साइंस सोसाइटी (सीएसएस) द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव और जी20 थीम पर गूगल डेवलपर छात्र क्लब (जीडीएससी) के सहयोग से 24 घंटे लंबे हैकथॉन, ‘एएमयूहैक्स 2.0’ का आयोजन किया गया जिसने नवोदित डेवलपर्स को अपना कौशल दिखाने और नवीन विचारों के साथ आने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस आयोजन के लिए कुल 147 टीमों ने पंजीकरण कराया था।

हैकाथॉन के प्रतिभागियों के पास अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 24 घंटे का समय था। अंतिम दौर में, शीर्ष दस टीमों ने दस मिनट में अपनी परियोजनाओं को प्रस्तुत किया और उसके बाद निर्णायक मंडल के साथ पांच मिनट का प्रश्न और उत्तर सत्र आयोजित किया गया। निर्णायकों ने रचनात्मकता, मौलिकता, तकनीकी कठिनाई और संभावित प्रभाव जैसे मानदंडों के आधार पर प्रत्येक परियोजना का मूल्यांकन किया।

5000 रुपये का पहला पुरस्कार  ‘रन टाइम टेरर’ टीम को उनके प्रोजेक्ट ‘जस्ट शिप इट’ के लिए प्रदान किया गया। इसने अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग में शामिल विभिन्न पक्षों के लिए वेयरहाउसिंग और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के मुद्दों की व्यवस्था के लिए पूर्ण समाधान प्रदर्शित किया।

उपविजेता टीम ‘गीक्स ऑफ इनोवेशन’ को उनके प्रोजेक्ट ‘ड्राइवर ड्रोजनेस डिटेक्शन’ के लिए 3000 रूपये का पुरुस्कार दिया गया। यह एक मशीन लर्निंग-आधारित समाधान था जिसमें ड्रोजिनेस के संकेतों की पहचान करने के लिए ड्राइवर के व्यवहार की निगरानी करना शामिल है।

‘टीम इनविंसिबल’ ने अपने प्रोजेक्ट ‘न्यूबी केयर’ के लिए 1000 रुपये का सांत्वना पुरस्कार जीता। यह एक अभिनव अनुप्रयोग था जो गर्भावस्था के दौरान मातृ स्वास्थ्य का आकलन करता है।

समापन समारोह में, निर्णायकों ने प्रस्तुत परियोजनाओं पर अपने विचार साझा किए और छात्रों को दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रोफेसर आसिम जफर, अध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, ने अपने संबोधन में कार्यक्रम के आयोजकों और निर्णायकों,  सैफुद्दीन दानिश, मस्कत, ओमान, अकरम अहमद, नई दिल्ली और डॉ. फैसल अनवर, एएमयू की उनके समर्थन और योगदान के लिए सराहना की। उन्होंने कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. मोहम्मद नदीम और अन्य प्रायोजकों का आभार जताया।

आईआईटी बीएचयू, एनआईटी राउरकेला, वीआईटी वेल्लोर, मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी भोपाल, हेरिटेज कॉलेज कोलकाता, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली, कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तमिलनाडु, थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पटियाला, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, पंजाब, कलिंगा यूनिवर्सिटी , भुवनेश्वर, उड़ीसा, जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय (आईजीडीटीयूडब्ल्यू), दिल्ली, थापर संस्थान, पटियाला आदि ने हैकथॉन में शिरकत की  परन्तु केवल 10 टीमें ही फाइनल तक पहुँच बना पाईं।

एएमयू द्वारा ग्रामीण आबादी में प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के तत्वधान में अलीगढ जिले के गेंदा नगर, मंजूरगढ़ी के ग्रामीण अंचल में को ‘श्ग्रामीण आबादी में प्रौद्योगिकी के प्रति जागरुकता’ उत्पन्न करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत डीएसटी के फंड्स फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ एस एंड टी इंफ्रास्ट्रक्चर (फिस्ट) के सहयोग से आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहम्मद वाजिद (समन्वयक), संसाधन व्यक्ति डॉ. मोहम्मद यासिर और डॉ. मोहम्मद आसिफुद्दौला ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण आबादी को प्रौद्योगिकी के महत्व और उनके दैनिक जीवन में इसके लाभ के बारे में शिक्षित करना था।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले लगभग 70 बच्चों को आईसीटी का उपयोग करके ग्रामीण आबादी में ई-लर्निंग के बारे में शिक्षित किया गया। वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी का उपयोग शिक्षा तक पहुंच बनाने और ज्ञान में सुधार करने के लिए किया जा सकता है।

वक्ताओं ने बच्चों को प्रौद्योगिकी के अत्यधिक उपयोग और स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन पर इसके नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी आगाह किया। उन्होंने तकनीक के साथ अपने अनुभव साझा किए और उनकी शंकाओं का समाधान किया। आयोजकों ने अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए रंगीन पोस्टरों का इस्तेमाल किया।

इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष प्रो इकराम खान ने कहा कि इस तरह की पहल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल खाई को पाटने और ग्रामीण आबादी को ज्ञान और कौशल के साथ सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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