AmuNews : विरोधियों को भी सम्मान देते थे प्रोफेसर राजीव लोचन शुक्ल -प्रोफेसर अलीम | the khabarilaal

 

प्रख्यात अनुवादक  प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल के सम्मान में अभिनंदन-समारोह का आयोजन 
प्रो. शुक्ल के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला 
आगरा यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी ने साझा किए अनुभव 
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं प्रख्यात अनुवादक प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर राजीवलोचन नाथ शुक्ल अभिनंदन-समिति द्वारा अभिनंदन-समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन अमुवि के यूजीसी एचआरडीसी सेंटर के सभागार में संपन्न हुआ।
प्रख्यात अनुवादक  प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल के सम्मान में अभिनंदन-समारोह का आयोजन हुआ
समारोह के मुख्य अतिथि आगरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं सोशल साइंस फैकल्टी, अमुवि के पूर्व डीन प्रो. अशोक मित्तल ने प्रो. राजीव लोचन के साथ घटित अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रो. शुक्ल के आकर्षक व्यक्तित्व को श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने प्रो. शुक्ल के संघर्ष के दिनों में भी विचलित न होने वाले व्यक्तित्व को उजागर किया।
प्रो. मित्तल ने कहा कि प्रो. शुक्ल दूसरों के सुख-दुख में हमेशा खड़े रहे। अमुवि के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान डीएसडव्ल्यू प्रो. अब्दुल अलीम ने स्वागत-भाषण दिया। उन्होंनेप्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल को सहज-सरल व्यक्तित्व का स्वामी बताते हुए अपनी अंतरंग मित्रता के कई रोचक और प्रेरणादायक प्रसंग श्रोताओं से साझा किए।
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प्रो. अलीम ने कहा कि आज प्रो. शुक्ल जैसे व्यक्ति की सर्वाधिक जरूरत है। अमुवि के हिंदी विभाग के प्रो. वेद प्रकाश ने प्रो. शुक्ल के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज ऐसे व्यक्ति की सर्वाधिक आवश्यकता है । जो रूढ़ियों का विरोधी हो और अपने विरोधियों को भी सम्मान देता हो। उन्होंने प्रो. शुक्ल को भुवनमोहिनी मुस्कान और गतिशील व्यक्तित्व का मालिक बताया। अमुवि के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मो. आशिक बालौत ने प्रो. शुक्ल के व्यक्तित्व और अपनी घनिष्ठ मित्रता के प्रसंगों को साझा किया।
प्रो. बालौत ने कहा कि शुक्ल अपने व्यक्तित्व एवं सकर्मकता में सांप्रदायिकता विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि प्रो. शुक्ल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और उसकी रवायतों से भावनात्मक लगाव रखते हैं। शुक्ल जैसे लोगों से दुनिया की कुरूपता कम होती है।
अमुवि के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं जन संपर्क आधिकारी प्रो. आसिम सिद्दीक़ी ने प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल के अकादमिक कार्यों पर विस्तार से अपनी बात रखी।
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उन्होंने कहा कि भारत में अनुवाद के क्षेत्र में प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल एक बड़ा नाम हैं। विज्ञान एवं साहित्य के पाठ के अनुवाद पर उन्हें महारत हासिल है और प्रो. शुक्ल ने हमेशा अनुवाद की चुनौतियों को स्वीकार किया है। प्रो. सिद्दीक़ी ने उनके सहयोगियों एवं मित्रों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के समय में किसी योग्य व्यक्ति का इस प्रकार अभिनंदन किया जाना बहुत महत्त्वपूर्ण बात है।
प्रख्यात अनुवादक  प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल के सम्मान में अभिनंदन-समारोह का आयोजन में प्रोफेसर राजीव शुक्ला को मोमेंटो देते हुए
अमुवि के हिंदी विभाग के अध्यापक अजय बिसारिया ने प्रो. शुक्ल के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। श्री बिसारिया ने कहा कि प्रो. शुक्ल विज्ञान की पृष्ठभूमि से साहित्य में आये। उन्होंने जीवनभर अनुवाद ही पढ़ाया, किंतु साहित्य के पठन-पाठन के प्रति लगाव इनके व्यवहार में दिखता है। प्रो. राजीव लोचन नाथ शुक्ल के बड़े भाई रजनींद्र नाथ शुक्ल एवं छोटी बहन प्रतिभा शुक्ल ने प्रो. शुक्ल के साथ जुड़े पारिवारिक मित्रता के प्रसंगों को भावुकतापूर्ण ढंग से साझा किया।
कवि सुरेश कुमार ने प्रो. शुक्ल के साथ अपनी पारिवारिक मित्रता की चर्चा की। अमुवि के हिंदी विभाग की एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. जया प्रियदर्शिनी शुक्ल ने प्रो. शुक्ल को मित्र-संपदा का धनी व्यक्तित्व बताया। डी.के. अग्रवाल ने प्रो. शुक्ल को ऊर्जा से पूरित सभी के लिए प्रेरक व्यक्तित्व बताया। प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं और अभिनंदन-समिति के सदस्यों के प्रति आभार जताते हुए अपने कवि-कर्म, अनुवाद-कर्म एवं शिक्षक-कर्म के अतिरिक्त अपने पारिवारिक प्रसंग भी साझा किए।
वीडियो न्यूज़ : https://youtu.be/01NesF9JACY
इस अवसर पर प्रो. प्रेमकुमार ने शॉल उढ़ाकर प्रो. राजीव को सम्मानित किया। अजय बिसारिया ने अभिनंदन-पत्र का वाचन किया। प्रो. प्रदीप सक्सेना, प्रो. रेशमा बेगम, प्रो. मसूद बेग, डॉ. जया प्रियदर्शिनी शुक्ल एवं  फरहा जिया ने इस अवसर पर प्रो. राजीवलोचन नाथ शुक्ल एवं उनकी पत्नी  सुधा शुक्ल को स्मृति-चिह्न, श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया।

प्रो. इफ्फत असगर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस समारोह में प्रो. राजीव लोचन नाथ शुक्ल और उनके मित्रों के पारिवारिक सदस्य के साथ-साथ विश्वविद्यालय एवं शहर के प्रतिष्ठित लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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