Aligarh News : एएमयू में दो दिवसीय यूपी स्टेट चैप्टर कॉन्फ्रेंस शुरू | thekhabarilaal  

 

एएमयू में दो दिवसीय यूपी स्टेट चैप्टर कॉन्फ्रेंस शुरू 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया के उ.प्र. चैप्टर द्वारा आयोजित दो दिवसीय 34वें सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि आईसीएमआर-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के निदेशक डॉ प्रशांत माथुर ने भारत में कैंसर के बढ़ते बोझ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक अनुमान के अनुसार 1,461,427 नए मामले और प्रति 100,000 लोगों पर 100.4 की बीमारी दर देश के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य और वित्तीय चुनौती पैदा कर रही है।

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कार्यक्रम में मौजूद एएमयू वीसी व अन्य

उन्होंने जोर देकर कहा कि तंबाकू और शराब के उपयोग, खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, वायु प्रदूषण, अधिक वजन या मोटापा और संक्रमण जैसे जोखिम को कम करने की रणनीति अपनाकर लगभग 50 प्रतिशत कैंसर से बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में, कैंसर निदान का पैटर्न बदल गया है, 60 से 70 प्रतिशत मामलों की पहचान अब एडवांस चरणों में की जाती है। हालाँकि कैंसर का शीघ्र पता लगाना और स्क्रीनिंग कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं, फिर भी वे प्रारंभिक विकास चरण में हैं।

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सम्मेलन के दौरान सार्वभौमिक व सुलभ और विशेष रूप से एडवांस चरण के कैंसर के इलाज से जुड़ी बढ़ती जटिलता और उपचार व्यय के प्रकाश में न्यायसंगत कैंसर देखभाल की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सम्मेलनों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन बौद्धिक विकास और विकिरण ऑन्कोलॉजी में सकारात्मक बदलाव में योगदान देगा।

यूपी-एआरओआई की महासचिव डॉ. सुरभि गुप्ता ने सम्मेलन के विषय की सराहना की और 1895 में एक्स-रे की खोज के बाद से रेडियोथेरेपी में तकनीकी प्रगति की भूमिका पर जोर दिया।
मेडिसिन संकाय की डीन प्रोफेसर वीणा महेश्वरी ने भारत में ऑन्कोलॉजी स्वास्थ्य देखभाल में बुनियादी ढांचे की सीमाओं और जागरूकता की कमी सहित चुनौतियों के बारे में विचार रखें।

वीडियो न्यूज़ :- https://youtu.be/tjgkZeev2ao?si=QcfGhkHQkw7HtZDU

कांफ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अकरम ने संचित नैदानिक अनुभवों और प्रयोगशाला अनुसंधान से सीखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एआई, जीनोमिक्स, प्रोटिओमिक्स और रेडियोमिक्स में प्रगति को शामिल करते हुए कैंसर जीव विज्ञान की अंतर्दृष्टि के साथ विकिरण चिकित्सा के तकनीकी पहलुओं को संतुलित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

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आयोजन सचिव डॉ. मोहसिन खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि डॉ. समरीन जहीर ने कार्यक्रम का संचालन किया। पूरे उत्तर प्रदेश से 200 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ आयोजित होने वाले सम्मेलन का उद्देश्य विकिरण चिकित्सा में सर्वोत्तम प्रथाओं का पता लगाना और उन पर विचार विमर्श करना है।

 

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