Aligarh News : इंडियन एसोसिएशन आफ माइक्रोबायोलोजी का वार्षिक सम्मेलन जेएन मेडिकल कालिज में शुरू

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ( Amu ) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट (यूपी-यूके चैप्टर) के 18वें वार्षिक सम्मेलन में चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षकों, शिक्षाविदों और विषय विशेषज्ञों ने प्रासंगिक विषयों पर विचार-विमर्श किया। मुख्य अतिथि, एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने सम्मेलन पूर्व कार्यशालाओं के आयोजन और और इस सम्मेलन में 300 से अधिक प्रतिनिधियों को एक साथ लाने के लिए जेएनएमसी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन बड़े शैक्षणिक लाभ के लिए सीखने और सहयोग का अवसर प्रदान करते हैं।

अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में, डीन, मेडिसिन संकाय, प्रो वीणा माहेश्वरी ने कहा कि दो दिवसीय आयोजन प्रतिभागियों को उन विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है जो सूक्ष्म जीव विज्ञान, विशेषकर विषयवस्तु ‘वायरस के युग में जीवाणु विज्ञान की भूमिका’ के क्षेत्र में हाल ही में हुई प्रगति के लिए प्रासंगिक हैं।

जेएन मेडिकल कालिज प्राचार्य एवं सीएमएस प्रोफेसर राकेश भार्गव ने कोविड के दौरान माइक्रोबाइलोजी विभाग में हुई टेस्टिंग पर चर्चा की।इससे पूर्व, अपने स्वागत भाषण में प्रोफेसर हारिस एम खान (आयोजन अध्यक्ष) ने सम्मेलन की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला और रिसोर्स पर्सन का परिचय दिया।

आईएएमएम (यूपी-यूके) के सचिव प्रोफेसर रुंगमेई एस के मारक ने संघ की एक संक्षिप्त अकादमिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। डॉ नाजिश फातिमा (सह-आयोजन अध्यक्ष और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष) ने बैक्टीरियोलॉजी और संबंधित क्षेत्रों के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि वे कैसे परस्पर जुड़े हुए हैं। डॉ फातिमा खान (संगठन सचिव) ने आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम का संचालन डा. भासवती ने किया।

तीन सप्ताह तक चलने वाले संवादात्मक कार्यक्रम का समापन

 अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी, इतिहास विभाग और यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र के सहयोग से आयोजित तीन सप्ताह के ऑनलाइन इंटरएक्टिव कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों के पचास से अधिक शोधार्थियों ने इतिहास के विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर गुलफिशन खान ने कहा कि पैंतीस इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किए गए थे, जिसमें एएमयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, हैदराबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के प्रमुख रिसोर्स पर्सन ने व्याख्यान दिए और प्रतिभागियों के साथ बातचीत की।

उन्होंने कहा कि 2 फरवरी को संपन्न होने वाले कार्यक्रम के दौरान इतिहास के जिन विषयों पर विचार विमर्श किया गया। उनमें मध्यकालीन पुरातत्व, यात्रा वृतांत, पुरालेख, मुद्राशास्त्र, इतिहास लेखन में हाल के रुझान, इतिहास लेखन में कालानुक्रमिकता, मध्ययुगीन भारतीय इतिहास के स्रोत, प्राथमिक स्रोतों का उपयोग, सामाजिक विज्ञान में शोध की मूल बातें, लिंग अध्ययन, मुगल भारत में गैर शासक वर्ग, इतिहास में अंतर अनुशासनात्मक अनुसंधान, जीवनी, इस्लामी वास्तुकला, सिल्क रोड का इतिहास और संस्कृति, इतिहास में शोध के साइबर तरीके, क्षेत्रीय इतिहास और चुनौतियों के स्रोत, अलीगढ़ आंदोलन का इतिहास लेखन, जादू टोना और समाज, धर्म और इतिहास लेखन, अनुसंधान सहायक उपकरण और शोध में नैतिकता की भूमिका शामिल है।

 

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