AMU में डिजिटल साहित्य पर जीआईएएन पाठ्यक्रम, 70 विभिन्न संस्थानों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिक्रिया प्रस्तुत की !

नॉर्वे के बर्गन विश्वविद्यालय की डॉ एस्ट्रिड एन्सलिन ने डिजिटल संस्कृति और डिजिटल मानविकी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार डिजिटल-जनित मीडिया में साहित्यिक अभिव्यक्ति साहित्य की पारंपरिक धारणाओं से आगे का परिदृश्य पेश करती है और उनको रद्द करती है। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘डिजिटल लिटरेचर्स एंड लिटरेचर इन द डिजिटल’ विषय पर सप्ताह भर चलने वाले ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क्स (जीआईएएन) पाठ्यक्रम में बोल रही थीं।



डॉ एस्ट्रिड ने डिजिटल-जनित कल्पना और कविता, साहित्यिक खेल, वेब पूर्व ई-साहित्य, माध्यम-केंद्रित कथा और बहुविध विश्लेषण, नारीवादी और ई-साहित्य के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण, डिजिटल-जनित बिबलियोग्राफी और अन्य विषयों के बीच ई-साहित्य पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पाठ्यक्रम के विभिन्न सत्रों में डिजिटल मानविकी और नई साहित्यिक प्रथाओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया।

 

डॉ एस्ट्रिड ने बताया कि अनेक डिजिटल साहित्य हैं और उनका सम्बन्ध शैलियों के विस्तृत प्रकार से है। यह एक निरंतर उभरता हुआ क्षेत्र है जो नई तकनीकी प्रगति के साथ आगे बढ़ रहा है। लेखक कंप्यूटर की संभावनाओं का पूरा फायदा उठा रहे हैं और नई तकनीकों का उपयोग करके जटिल विषय पर चर्चा कर रहे हैं।

‘अफ्रीकी दृष्टिकोण से इलेक्ट्रॉनिक साहित्य की तैयारीः घाना के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर बोलते हुए डॉ क्वाबेना-ओपोकु अग्यमंग (घाना विश्वविद्यालय) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अफ्रीकी साहित्य अपनी रचनात्मक प्रक्रिया में डिजिटल तकनीक को शामिल कर रहा है, और इलेक्ट्रॉनिक साहित्यिक आलोचना के साथ इसके बाहर के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।



उन्होंने घाना से ठोस कविता, वैचारिक कविता और मोबाइल वीडियो गेम का उदाहरण दिया जो अफ्रीकी इलेक्ट्रॉनिक साहित्य को आकार देते हैं। प्रोफेसर सौगाता भादुड़ी (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) ने ‘ऑफ़ डॉइट्स एंड ड्रोइट्सः हूज (और व्हिच) डिजिट इज़ इट एनीवे?’ विषय पर भाषण दिया।

 

इस कोर्स के अंतर्गत प्रोफेसर सैयद मोहम्मद हाशिम (पूर्व डीन आर्ट्स फैकल्टी), प्रोफेसर मोहम्मद जहांगीर वारसी (स्थानीय समन्वयक, जीआईएएन पाठ्यक्रम-एएमयू और अध्यक्ष, भाषाविज्ञान विभाग), प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग), प्रोफेसर एम रिजवान खान और प्रोफेसर सीमीं हसन द्वारा उपयोगी व्याख्यान प्रस्तुत किये गए। उन्होंने भारत में डिजिटल साहित्य पाठ्यक्रम स्थापित करने और इसके दायरे का विस्तार करने के पहलुओं पर भी चर्चा की।

प्रोफेसर क्लेयर जौबर्ट (विश्वविद्यालय पेरिस आठ) ने डिजिटल मानविकी पर विकसित विचार विमर्श की आवश्यकता पर चर्चा की।प्रोफेसर मोहम्मद जहांगीर वारसी ने समापन भाषण दिया और मदीहा नोमान ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम का संचालन डा. शरजील चौधरी और अलीशा इबकार ने किया, जबकि डा. अदीबा फैयाज ने 70 विभिन्न संस्थानों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिक्रिया प्रस्तुत की।

 

 

 

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