Amu News : स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुशायरे का आयोजन | the khabarilaal

 

 

एएमयू में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुशायरे का आयोजन 

आज का दिन शहीदों को याद करने का दिन है – एएमयू वीसी 

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर एएमयू के पालीटेक्निक सभागार में मुशायरे का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि आज का दिन उन शहीदों को याद करने का दिन है । जिन्होंने देश और राष्ट्र की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दी।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुशायरे का आयोजन में मौजूद एएमयू वीसी व अन्य

कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी और कहा कि देशभक्ति के बिना कोई भी देश विकास नहीं कर सकता और ऐसे कार्यक्रम हमारे अंदर प्रेम का संचार करते हैं। इनसे देशभक्ति की भावना पैदा होती है।

वीडियो न्यूज़ : https://youtube.com/shorts/BeE0VlkrAmk?feature=share

इससे पहले अपने स्वागत भाषण में उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमरूल हुदा फरीदी ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम देश प्रेम के साथ इसके विकास में अहम भूमिका निभाऐं। उन्होंने सभी शायरों का परिचय भी कराया। मुशायरे का संचालन सैयद सिराजुद्दीन ने किया।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुशायरे का आयोजन

मुशायरे में प्रस्तुत चुनिंदा शेर

सराबों पर भरोसा कर रहा हूं, मैं अपने साथ धोखा कर रहा हूं

सुना है तुम समन्दर हो गए हो, सो मैं तुम से किनारा कर रहा हूं

(आदिल रजा मंसूरी)

अपनी जात से आगे जाना है जिसको, उसको बर्फ से पानी होना पड़ता है

(मुईद रशीदी)

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मैं खुद भी जानता हूं नक्शे अव्वल के मआइब, मगर ये नक्शे अव्वल नक्शे सानी के लिए है

(सरफराज खालिद)

बेसुकूनी मे भी तस्कीन को पा लेते हो, कौन है जिसको तसव्वुर मे बसा लेते हो

(सिराज अजमली)

गर्मिये एहसास की शिद्दत से चुप सी लग गयी, वक्त का सूरज मेरी जादू बयानी ले गया

(सलमा शाहीन)

 

बस एक शब् को तेरी छत कुबूल कर ली है, ये मत समझ कि इमामत कुबूल कर ली है

(सरवर साजिद

जब कुछ नही मिला उसे खोने के वास्ते, जागी है रात सुबह को सोने के वास्ते

(महताब हैदर नक्वी)

चिराग ले के निकलते नही हैं राहों में, समझ चुके हैं हवाओं के सब इशारे लोग

(शहाबुद्दीन साकिब)

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वो शहर बसा भी था हमारी ही बदौलत, इस शहरे तमन्ना की तबाही भी हमी थे

(नसीम सिद्दीकी)

खालिद का तो दरिया की गुजर गाह में घर है, सैलाब को आना है तो दरवाजा खुला है

(खालिद महमूद)

देर रात तक चले इस मुशायरे में बड़ी संख्या में शिक्षकों, छात्रों एवं मेहमानों ने मुशायरे का भरपूर आनंद लिया।

 

 

 

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