राजभाषा (हिन्दी) कार्यान्वयन समिति, अमुवि द्वारा हिंदी सप्ताह समारोह आयोजित
अलीगढ़ : राजभाषा (हिन्दी) कार्यान्वयन समिति, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हिंदी सप्ताह समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि कुलसचिव अमुवि रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान आईपीएस ने कहा कि हिन्दी एक राष्ट्र भाषा के रूप में भारत की एकता को बनाये रखने और साझा संस्कृति को आगे बढ़ाने का माध्यम है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी की लोकप्रियता में निरन्तर वृद्वि हो रही है और यह सोशल मीडिया की भी भाषा बन गई है। कुलसचिव ने कहा कि हिन्दी में पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी निरन्तर बढ़ रहा है। इमरान ने कहा कि हालांकि वर्तमान समय में तकनीकी और वैज्ञानिक कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा को मान्यता है । लेकिन जापान जैसा विकसित देश इस कार्य को अपनी भाषा में ही आगे बढ़ा रहा है और हम भी हिंदी में विज्ञान और तकनीक की शिक्षा को अपनी भाषा में सीखकर आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी के पत्र पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कार्यालयों में हिन्दी में कार्य करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
मुख्य वक्ता पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष अमुवि प्रोफेसर रमेशचन्द्र शर्मा ने राजभाषा समस्या पर चर्चा करते हुए विभिन्न ऐतिहासिक कालखंडो में राजभाषा की स्थिति से पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आरंभ से ही तकनीकी भाषा और लोकभाषा में टकराव रहा है। प्रो. शर्मा ने कहा कि भाषा प्रयास से नहीं बनती सिधांतों के आधार पर चलती है और धीरे धीरे परिवर्तित होती है। उन्होंने हिंदी उर्दू के संबंधों और उसके विकास पर प्रकाश डाला और बताया कि मध्यकाल में शासकों ने किस प्रकार हिन्दी उर्दू के संबंधों को प्रागढ़ किया। प्रो. रमेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि भाषा विद्वानों के लिए होती है और लोकभाषा जीवन्त होती है। उन्होंने बताया कि हिन्दी में लगभग 60 प्रतिशत शब्दावली अन्य भाषाओं की है।
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राजभाषा (हिन्दी) कार्यान्वयन समिति के सचिव एवं अध्यक्ष हिन्दी विभाग प्रोफेसर मोहम्मद आशिक अली ने कहा कि हिन्दी निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है और सरकारी कामकाज में हिन्दी का वर्चस्व बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के प्रति छात्रों की रूचि बढ़ी है और अब बड़ी संख्या में हिन्दी पाठयक्रमों में छात्र-छात्रायें प्रवेश के लिए आवेदन कर रहे हैं। प्रो. अली ने कहा कि हिन्दी में रोजगार की संभावनायें भी बढी हैं।
उन्होंने कहा कि हिन्दी हिन्दुस्तान की मातृभाषा ही नहीं बल्कि यह राष्ट्र की अस्मिता और गौरव का भी प्रतीक है। वर्ष 1949 में हिन्दी को संविधान सभा द्वारा भारत की राजभाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था। उसके बाद से ही इसे हर वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर आरिफ नजीर ने कहा कि हिन्दी एक उन्नत भाषा है और विश्व में शैक्षणिक व्यवसायिक और तकनीक आदि क्षेत्रों में हिन्दी की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार भाषाओं में मौलिक रचनाओं के साथ देश की विभिन्न भाषाओं में भी अनुवाद को प्रोत्साहन दे रही है। प्रो. आरिफ नजीर ने कहा कि भारत हिन्दी का वैश्विक केन्द्र बन रहा है। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय शब्दों को भी हिन्दी में स्वीकार किये जाने को कहा।
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कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर शंभुनाथ ने किया और उपस्थितजनों का आभार प्रो. तसनीम सुहैल ने जताया। हिन्दी सप्ताह समारोह के संयोजक प्रो. एम शाहुल हमीद भी इस अवसर पर मौजूद रहे।