प्रदेश भर में क्षय रोगियों के नोटिफिकेशन में निरन्तर गिरावट दर्ज की गई है। जनपद अलीगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा है। यहां पिछले वर्षों की तुलना में क्षय रोगियों के चिन्हिकरण में गिरावट आई है। उसी को ध्यान में रखते हुये भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिनांक 26 दिसंबर से चल रहे टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान के तहत बुधवार को सिविल लाइन के जमालपुर स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी स्थित अनाथालय में जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार के नेतृत्व में टीयू मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक अजहरुद्दीन एवं टीबी स्वास्थ्य परिदर्शक धर्मेंद्र कुमार व सुबोध यादव ने 71 लोगों की कोविड और टीबी की संयुक्त स्क्रीनिंग की। जिसमे किसी को भी टीबी एवं कोरोना के लक्षण नही पाए गए। दूसरी तरफ तालानगरी स्थित संत फिदेलस अनाथालय पर हरदुआगंज में टीयू के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक शैलेन्द्र गौतम एवं टीयू पनेठी से वरिष्ट उपचार पर्यवेक्षक मनोज कुमार ने सयुंक्त रूप से 47 बच्चों की कोविड और टीबी की संयुक्त स्क्रीनिंग की गई। जिसमे किसी भी बच्चों को टीबी के लक्षण नही पाए गए ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने बताया कि प्रथम चरण में 26 दिसम्बर से शुरू हुआ। अभियान 01 जनवरी तक जनपद के समस्त अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, नवोदय विद्यालय, जिला कारागार, आईटीएम स्थित अस्थायी कारगार, में क्षय रोगियों के साथ साथ कोविड के मरीजों की भी स्क्रिनिंग लगातार की जा रही है ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अनुपम भास्कर ने बताया कि ऐसे लोग जो समूह में रहते हैं, उन लोगों में टीबी के साथ ही कोरोना पाए जाने के चांस ज्यादा रहते हैं । इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर उप्र स्वास्थय विभाग द्वारा पूरे उप्र में यह अभियान चलाया जा रहा। जिससे टीबी और कोविड के मरीजों को खोज कर उनका इलाज और ध्यान रखा जा सके । इसके बाद ही हम सब लक्ष्य वर्ष 2025 तक टीबी फ्री इंडिया का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं ।
उन्होंने जनपद की जनता से अपील की है कि, स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग करें। इसके अलावा, जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसते समय खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल अपने बलगम की जांच कराए क्षय रोगियों की जांच एवं उपचार पूर्णतया नि:शुल्क उपलब्ध है। इसके अलावा इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 प्रतिमाह दिए जाने का भी प्रावधान है।