एएमयू वन्य जीव विशेषज्ञ डा. उरूस द्वारा कस्तूरी मृग पर व्याख्यान
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग की डॉ. उरुस इलियास ने ‘आयुर्वेदिक फार्मास्यूटिक्स में कस्तूरी का महत्व और चुनौतियाँ’ विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार में ‘कस्तूरी मृगः संरक्षण के 50 वर्ष’ पर ‘स्वर्ण जयंती व्याख्यान’ प्रस्तुत किया। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अनुसंधान संस्थान रानीखेत, अल्मोरा द्वारा महरुरी, बागेश्वर में कस्तूरी मृग के संरक्षण के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सेमिनार में कस्तूरी मृग के अस्तित्व के लिए संभावित खतरों पर चर्चा की गई।
डॉ. इलियास ने कहा कि दुनिया में कस्तूरी मृग की सात प्रजातियाँ पाई जाती हैं और उनमें से पाँच प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची फस्ट तथा लुप्तप्राय प्रजातियों की आईयूसीएन लाल सूची में सूचीबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि “कस्तूरी मृग कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक हिमालय की 2500 मीटर से 4500 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। नर मृग की पूर्व ग्रंथि के स्राव, कस्तूरी की प्राप्ति के लिए उनके अवैध शिकार के कारण उनकी आबादी घट रही है, जिसका उपयोग इत्र और दवा उद्योगों में किया जाता है। एक किलोग्राम कस्तूरी इकट्ठा करने के लिए लगभग 300 वयस्क मृगों को मार दिया जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लगभग 2.5 करोड़ रुपये है”।
डॉ. उरुस इलियास का उत्तराखंड हिमालय में कस्तूरी मृग की पारिस्थितिकी और संरक्षण पर व्यापक अध्ययन है। उन्होंने कई राष्ट्रीय उद्यानों और कस्तूरी मृग अभयारण्यों का सर्वेक्षण किया है और इस विषय पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में पत्र प्रकाशित किए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पेपर प्रस्तुति
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के के.ए. निजामी सेंटर फॉर कुरानिक स्टडीज के मानद निदेशक प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई ने 1-2 जुलाई को संयुक्त राज्य अमेरिका में एलक्यूआरए एसोसिएशन द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘कुरान का अंग्रेजी अनुवादः रूपरेखा और चुनौतियां’ शीर्षक से एक उल्लेखनीय प्रस्तुति दी।
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संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, घाना, तुर्की, रोमानिया, पाकिस्तान और ईरान सहित विभिन्न देशों के प्रसिद्ध कुरान अनुवादक व्यावहारिक चर्चा और आदान-प्रदान में शामिल होने के लिए सम्मेलन में एकत्र हुए।
प्रोफेसर किदवई ने अपने पेपर में कुरान का अंग्रेजी में अनुवाद करने में शामिल जटिल आयामों और बाधाओं पर प्रकाश डाला। अपने व्यापक शोध और विशेषज्ञता के आधार पर, उन्होंने अध्ययन के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।