Amu News : आजादी का अमृत महोत्सव को लेकर कार्यक्रम आयोजित हुए | thekhabrilaal  

 

एएमयू में आजादी का अमृत महोत्सव से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित 

एएमयू कैम्पस में निकाली प्रभात फेरी 

एक प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभिन्न संस्थानों और कार्यालयों, कॉलेज, विभागों और स्कूलों में युवा छात्रों को भारत के स्वाधीनता संग्राम और आजादी से सम्बंधित विभिन्न घटनाक्रम से परिचित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए आजादी का अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता-पूर्व विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । जिन में हर घर तिरंगा, मेरी माटी मेरा देश, विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस आदि शामिल हैं।

एएमयू में निकली प्रभात फेरी

एएमयू सिटी गल्र्स हाई स्कूल में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ को चिह्नित करते हुए ‘स्वास्थ्य और कल्याण’ पर एक मेडिकल पेशेवर और स्कूल की पूर्व छात्रा डॉ. इरम आलम के साथ छात्राओं के लिए एक इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया।

बीएलएक्स मैक्स अस्पताल में कार्यरत डॉ. आलम ने स्कूल के दिनों की यादें साझा कीं और छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उनसे जीवन में सफलता के अपने मंत्र सीखने, दोहराने और याद करने का आग्रह किया। स्कूल प्राचार्य डॉ. मोहम्मद आलमगीर ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया।

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ने 14 अगस्त को प्रातः काल में विश्वविद्यालय के शताब्दी गेट से बाब-ए-सैयद तक प्रभात फेरी का आयोजन किया। इस अवसर पर एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अरशद हुसैन ने कार्यक्रम अधिकारियों, कार्यालय कर्मचारियों और छात्र स्वयंसेवकों सहित प्रतिभागियों को ‘पंच प्राण’ की शपथ दिलाई।

वीडियो न्यूज़ : https://youtube.com/shorts/0RdGI_LQmpc?feature=share

 

सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड करियर प्लानिंग, वीमेंस कॉलेज ने जी20 की भारत की अध्यक्षता को चिह्नित करते हुए आजादी का अमृत महोत्सव और मेरी माटी मेरा देश का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए। इस अवसर पर स्टाफ, प्रशिक्षकों एवं छात्राओं द्वारा पंच प्राण प्रतिज्ञा ली गयी।

केंद्र ने राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ से प्रेरित होकर भारतीय पोशाक चित्रण पर एक प्रतियोगिता भी आयोजित की। कार्यक्रम में फैशन इलस्ट्रेशन कोर्स की कुल 23 छात्राओं ने भाग लिया। प्रोफेसर निगार जुबेरी विशेष अतिथि थीं और प्रतिस्पर्धा का निर्णय विमेंस पॉलिटेक्निक की इकरा सलीम ने किया। साजिदा परवीन ने पहला पुरस्कार जीता जबकि दूसरा और तीसरा पुरस्कार क्रमशः अरीबा हसन और हबीबा नदीम को मिला।

प्रदर्शनी में लगी चित्र को देखते प्रोफेसर नईमा गुलरेज

केंद्र की निदेशक प्रोफेसर नईमा खातून ने छात्रों से राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेने का आग्रह किया क्योंकि इससे आम लोगों में राष्ट्र के प्रति प्रेम फैलाने और देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी। कार्यक्रमों का संचालन छात्र परामर्शदाता डॉ. समरीन हसन खान ने किया।

एएमयू एबीके हाई स्कूल (गर्ल्स) ने ‘मेरी माटी मेरा देश’ और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किए और ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया। कार्यक्रमों में एक विशेष सुबह की सभा, एक पंच प्रण प्रतिज्ञा, तिरंगे के साथ एक सेल्फी, विभाजन विभीषिका प्रदर्शनी, वृक्षारोपण अभियान और छात्रों द्वारा बनाए गए मॉडल और चार्ट प्रदर्शित करने वाली एक कला प्रदर्शनी शामिल थी।

अब्दुल्ला स्कूल में, आजादी का अमृत महोत्सव और भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत ‘जनभागीदारी’ पर विशेष जोर देने के साथ ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान का जश्न मनाया गया। स्टाफ और छात्रों ने मेरी माटी मेरा देश अभियान के तहत ‘पंच प्रण; के अनुसार शपथ ली और स्कूल की अधीक्षक उमरा जहीर के नेतृत्व में वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया, जिन्होंने शपथ भी दिलाई।

वनस्पति विज्ञान विभाग में, संकाय सदस्यों और छात्रों ने ‘मेरी माटी मेरा देश’ की भावना के प्रति निष्ठा व्यक्त करने के लिए ‘पंच प्रण’ प्रतिज्ञा ली। इस बीच, ‘विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस’ के उपलक्ष्य में, अंग्रेजी विभाग ने, रैले लिटरेरी सोसाइटी के सहयोग से, संस्कृति मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश के अनुसार, विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस मनाने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।

विभाजन की भयावहता और उससे उत्पन्न लाखों लोगों की पीड़ा के बारे में एक वृत्तचित्र फिल्म भी दिखाई गई। डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य दर्शकों को गंभीरता की भावना और विभाजन की भयावहता की याद दिलाना था।

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इस अवसर पर अपने संबोधन में, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के महत्व पर जोर दिया और साहित्य और मानविकी के छात्रों के लिए इसके विशेष महत्व को रेखांकित किया। रैले लिटरेरी सोसाइटी के समन्वयक, दानिश इकबाल ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में साहित्यिक अध्ययन में विभाजन की कहानियों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

स्नातकोत्तर छात्रों सिदरा नूर और मोहम्मद अशहर अली ने विषय पर कविताएँ प्रस्तुत कीं और मोहम्मद बिलाल, असरा तारिक, वारिशा अहमद, आयशा बाबर, डिंपल सिंह, अदीब सुल्तान और फरिहा कफील सहित छात्रों के एक समूह ने गायन प्रदर्शन किया। विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस कार्यक्रम उर्दू शिक्षकों के व्यावसायिक विकास केंद्र (उर्दू अकादमी) में शिक्षकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, शोधार्थियों और छात्रों की सामूहिक भागीदारी के साथ आयोजित किया गया।

कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए केंद्र के निदेशक प्रोफेसर क्यू.एच. फरीदी ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य विभाजन के दौरान आम लोगों की पीड़ा को याद करना है क्योंकि विभाजन प्रक्रिया में बड़ी संख्या में परिवार विस्थापित हुए और कई लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम लोगों में देश से अपनेपन की भावना पैदा करके एकता, शांति और व्यक्तिगत सशक्तिकरण की भावना को बढ़ाने में मदद करेगा।

एक प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन से संबंधित कई किताबें और तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। केंद्र में पंच प्रण प्रतिज्ञा, प्रश्नोत्तरी और डॉ रफीउद्दीन द्वारा मेरी माटी मेरा देश पर व्याख्यान सहित अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

नई पीढ़ी को विभाजन की भयावहता से अवगत कराने के लिए गृह विज्ञान विभाग ने संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया। डॉ सबा खान ने विभाजन के दिनों के दौरान लोगों की पीड़ा को रेखांकित किया और नफरत की आग को बुझाने में स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। इरम नाज द्वारा विभाजन की भयावहता पर एक ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति दी गई।

विमेंस कॉलेज ने ‘ललित कला अनुभाग’ और ‘विमेंस कॉलेज साहित्यिक सोसायटी’ के साथ भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी की स्क्रीनिंग के साथ विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। प्रदर्शनी डॉ. मुश्ताक वानी द्वारा प्रस्तुत की गई।

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रमशा रफत, बसरा हसन और अक्सा ने विभाजन की भयावहता पर भाषण दिए, जबकि बीएफए छात्रों सायमा अर्शी और अलीजा जमीर ने विभाजन के दर्द और पीड़ा को दर्शाते हुए प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग प्रस्तुत की। इतिहास विभाग के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी द्वारा ‘विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस’ पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर असमर बेग मुख्य अतिथि थे।

डॉ. लुबना इरफान ने सेमिनार के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला जबकि चेयरपर्सन प्रोफेसर गुलफिशां खान ने विभाजन के दौरान लोगों द्वारा देखी गई भयावहता और त्रासदियों से संबंधित कहानियों को याद किया।

प्रोफेसर असमर बेग ने नफरत और संघर्ष के अंधेरे के बीच सकारात्मकता खोजने पर जोर दिया। डॉ. सैफुल्लाह सैफी, डॉ. गुलरुख खान, प्रो. वसीम राजा, डॉ. अख्तर हसन और डॉ. योगेश यादव ने विभाजन के दौरान और उसके बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण का विश्लेषण करते हुए विचारोत्तेजक वार्ताएं प्रस्तुत कीं।

भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा तैयार की गई एक डिजिटल प्रदर्शनी विभाग के ऑडियो-विजुअल कक्ष में प्रदर्शित की गई, जिसमें विभाजन से संबंधित पुस्तकों और दस्तावेजों का प्रदर्शन भी किया गया।

आफताब हॉल में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के उपलक्ष्य में एक प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रोफेसर अली अतहर (इतिहास विभाग) ने एक व्याख्यान दिया जिसमें विभाजन के दिन पीड़ित लाखों लोगों की पीड़ा और दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया।

इससे पूर्व, प्रोवोस्ट डॉ. सलमान खलील ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया और पीड़ाओं को याद करने की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। दृष्टिबाधितों के अहमदी स्कूल में, डिजिटल मीडिया के माध्यम से तस्वीरों की एक प्रदर्शनी द्वारा ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया गया।

स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. नायला राशिद ने कहा कि यह प्रदर्शनी हमें पिछली सदी में मानव आबादी के सबसे बड़े विस्थापन की याद दिलाती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान भी गई थी।

 

 

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